उत्तराखंड

रुद्रपुर कलेज में चल रहा फर्जी कौशल केंद्र, मनमानी का हुआ खुलासा

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रुद्रपुर। सरदार भगत सिंह स्नातकोत्तर महाविद्यालय में संचालित दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र में मनमानी का खुलासा हुआ है। परीक्षाएं नहीं होने पर छात्रों ने कुमाऊं विवि से शिकायत की तो जांच में पता चला कि चार साल से केंद्र को सरकार या यूजीसी से कोई अनुदान नहीं मिल रहा है। इसके बावजूद यहां 133 छात्र-छात्राएं पंजीत हैं। खास बात यह है कि केंद्र के नाम पर दो-दो पोर्टल चलाये जा रहे हैं। इनमें से एक असली और विवि से संबद्घ है, वहीं दूसरा पोर्टल कुछ शिक्षकों ने बनाया है।
प्राचार्य ने जांच रिपोर्ट विवि को भेज दी है। वहीं, केंद्र से जुड़े शिक्षकों का कहना है कि मामले में कहीं कोई फर्जीवाड़ा नहीं है। रुद्रपुर कलेज में वर्ष 2015 में व्यावसायिक शिक्षा के उद्देश्य से दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र की शुरुआत की गयी थी। 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत केंद्र के संचालन के लिये दो वर्ष तक यूजीसी से अनुदान मिला था। दो वर्ष बाद महाविद्यालय को अपने संसाधनों से संचालित करना था। 2017 में बजट की कमी के चलते दिक्कतें आने पर केंद्र को प्रदेश सरकार द्वारा गोद लेने की सिफारिश की गयी, लेकिन राज्य सरकार ने वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता नहीं होने के कारण इससे इनकार कर दिया।
इसके बाद भी यह केंद्र संचालित होता रहा और वर्तमान में यहां 133 छात्र-छात्राएं पंजीत हैं। मामला तब चर्चाओं में आया, जब बीते दिनों बैंकिंग फाइनेंस कोर्स के 16 छात्रों ने कुमाऊं विवि को शिकायती पत्र भेजा। कहा था दिसंबर 2020 तक उनकी चौथे-पांचवें सेमेस्टर की परीक्षाएं हुयी थीं, लेकिन इसके बाद से अब तक छठे सेमेस्टर की परीक्षाएं नहीं करायी गयी हैं। इस संबंध में न तो केंद्र से जुड़े शिक्षक, न महाविद्यालय प्रबंधन और न ही विवि कोई सुनवाई कर रहा है। विवि ने महाविद्यालय से जांच रिपोर्ट तलब कर ली।
प्राचार्य ड़क केके पांडेय ने मामले की जांच प्रो़ पीएन तिवारी को सौंपी। तिवारी ने मामले की जांच पूरी कर ली है। उन्होंने बताया कि जांच में साफ हुआ कि विवि ने दीनदयाल केंद्र का आधिकारिक पोर्टल बनाया था, लेकिन वित्तीय कमी के कारण जब केंद्र बंद होने की नौबत आयी। उसी बीच कुछ शिक्षकों ने इसी नाम से फर्जी पोर्टल बना दिया। इसी पोर्टल के जरिये छात्रों को दाखिला दिया जाता रहा है, जबकि विवि के आधिकारिक पोर्टल पर छात्रों का कोई रिकर्ड नहीं है।
महाविद्यालय के प्राचार्य ड़क केके पांडेय ने बताया कि 2015 में जब यह केंद्र प्रारंभ हुआ था, तब यूजीसी से दो करोड़ रुपये का बजट जारी हुआ था। यह योजना दो साल के लिये ही थी। महाविद्यालय ने यूजीसी से मिले बजट के जरिये ही व्यवस्थाएं पूरी कीं। अब यह रकम महज 17 लाख रुपये बाकी रह गयी है। प्राचार्य का कहना है कि केंद्र का गलत पोर्टल बनाया गया था, लेकिन अब तक इसकी किसी को जानकारी नहीं थी।
प्राचार्य ड़क केके पांडेय ने बताया कि मामले की जांच और विवि से जानकारी जुटाने पर पता चला कि केंद्र से जुड़े शिक्षकों ने खुद दूसरा पोर्टल बनाया है। उनका कहना है कि विवि की ओर से बताया कि दूसरा पोर्टल निजी लगइन, आईडी की मदद से बनाया गया है। वहीं, संबंधित शिक्षकों का कहना है कि बिना प्राचार्य और विवि के आदेश के कोई पोर्टल नहीं बनाया जा सकता।
छात्रों ने परीक्षा नहीं होने की शिकायत की थी, इसके बाद जांच करायी गयी तो पता चला कि दीनदयाल उपाध्याय केंद्र का निजी पोर्टल चलाया जा रहा है। इसकी जानकारी अब तक किसी को नहीं थी। पूरी जांच रिपोर्ट विश्वविद्यालय को दे दी गई है। हमें छात्रों के भविष्य को भी देखना है। -केके पांडेय, प्राचार्य, सरदार भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय

पोर्टल बनाना विवि का काम है। हम लोग कोई पोर्टल नहीं बना सकते हैं। जहां तक परीक्षा का मामला है तो कोरोना के कारण इसमें देरी हुयी है। विवि प्रशासन से परीक्षाएं कराने के लिये बातचीत की गयी है। पहले दिसंबर में होने थे, लेकिन नहीं हो सके। -विनोद कुमार, विभागाध्यक्ष, दीनदयाल उपाध्याय केंद्र

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