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पहले गधे और दहशतगर्द, अब गिरोह बनाकर विदेश में भिखारी भेज रहा पाकिस्तान, आखिर कैसे बर्बाद हुआ देश?

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नई दिल्ली , एजेंसी। पाकिस्तान में हालात इतने खराब हैं कि लोग यहां रहने के बजाय विदेश में भिखारी बनना पसंद कर रहे हैं। इस बात का खुलासा मध्य पूर्व देशों द्वारा पाकिस्तान को साझा किए एक रिपोर्ट से हुआ है। सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य पूर्व में गिरफ्तार किए गए भिखारियों में से 90 फीसदी पाकिस्तानी हैं।
पहले आतंकवाद और गधों के निर्यात के लिए पाकिस्तान की फजीहत होती रही है। हाल ही में सामने आई पाकिस्तानियों की करतूतों ने फिर उसे फिर शर्मसार किया है। ऐसे में हमें जानना चाहिए कि आखिर पाकिस्तानी भिखारियों को लेकर क्या रिपोर्ट आई है? ये भिखारी विदेश कैसे पहुंच जा रहे हैं? पाकिस्तान की हालत इतनी क्यों खराब है? आइये सझते हैं…
पाकिस्तान की सड़कों और चौराहों पर पेशेवर भिखारियों का गिरोह हमेशा से कुख्यात रहा है। हालांकि, यह गिरोह अब सात समंदर पार कर गया है और सऊदी अरब, इराक और उससे आगे के देशों में बढ़ती चिंता का विषय बन गया है। इस चिंता की वजह पाकिस्तानी संसद सदस्यों (सीनेटर) के साथ साझा की गई एक रिपोर्ट है।
इसके अनुसार, मध्य पूर्वी देशों में गिरफ्तार किए गए 90 फीसदी पेशेवर भिखारी पाकिस्तान से हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तानी नागरिक सऊदी अरब में मक्का मस्जिद के आसपास पॉकेटमारी जैसे अपराधों में लिप्त हैं।
पिछले दिनों सीनेटर मंजूर कक्कड़ की अध्यक्षता में प्रवासी पाकिस्तानियों की स्थायी समिति की एक बैठक हुई। इस बैठक के दौरान प्रवासी पाकिस्तानियों के सचिव जुल्फिकार हैदर ने मुद्दे के समाधान के लिए कार्रवाई की कमी पर चिंता जताई। इसके साथ ही हैदर ने चौंकाने वाला खुलासा भी किया।
खुलासे के मुताबिक, भिखारी गुट बनाकर पाकिस्तान छोड़ रहे हैं। ये अक्सर नावों में भरकर यात्रा करते हैं और फिर विदेश में हज यात्रियों से भीख मांगने के लिए उमरा और यात्रा वीजा का फायदा उठाते हैं। सचिव हैदर ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि इराक और सऊदी अरब की जेलों में अब बड़ी संख्या में पाकिस्तानी भिखारी रह रहे हैं, जिससे विदेशों में पाकिस्तानियों की छवि खराब हो रही है।
हैदर ने कहा कि इस घटना का सबसे चिंताजनक पहलू विदेशी पाकिस्तानियों में विश्वास का कम होना है। उन्होंने ने अफसोस जताया कि विदेशों में पाकिस्तानियों को संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है, जिससे निर्वासन की संख्या बढ़ रही है। हैदर ने बताया कि इराक और सऊदी अरब लगातार शिकायत करते हैं कि हम उनके देशों में अपराधियों को भेज रहे हैं और उनकी जेलें पाकिस्तानी भिखारियों से भरी हुई हैं। यह मानव तस्करी का भी एक गंभीर मुद्दा है।
उसी बैठक में सांसद राणा महमूदुल हसन ने एक और मुद्दा उठाया। यह मुद्दा था विदेशों में पाकिस्तानी कुशल श्रमिकों के कम प्रतिनिधित्व का। हसन ने कुशल पेशेवरों को जापान जैसे देशों में भेजने में पाकिस्तान के प्रदर्शन की तुलना की। सांसद ने कहा कि भारत, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों ने जापान में कुशल श्रमिक भेजकर अहम योगदान दिया है। इसके उलट पाकिस्तान ने केवल 200 व्यक्तियों को जापान भेजा है।
हसन ने पाकिस्तान को कुशल श्रम प्रदान करने के अपने प्रयासों को बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। सांसद ने कहा कि पाकिस्तान के पास 50 हजार बेरोजगार इंजीनियर हैं। अब समय आ गया है कि कुशल श्रमिकों को विदेश भेजने पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
इस बीच, पाकिस्तानी विश्लेषकों ने दावा किया है कि विदेश में काम करने वाले अधिकांश पाकिस्तानी कम भुगतान वाले व्यवसायों में शामिल हैं। इसका मतलब है कि ये लोग कम तनख्वाह के साथ जीवन जीते हैं और अगर वे अपनी नौकरी खो देते हैं तो उन्हें हताशा में भीख मांगने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
हालांकि, पाकिस्तान में बढ़ती गरीबी को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। पिछले वित्तीय वर्ष में देश में गरीबी बढ़कर 39.4 प्रतिशत हो गई। सरकारी आकंड़ों में बताया कि खराब आर्थिक स्थिति के कारण 1.25 करोड़ से अधिक पाकिस्तानी गरीबी की चपेट में आ गए हैं।

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