जयन्त प्रतिनिधि।
श्रीनगर गढ़वाल : हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय का 52वां स्थापना दिवस बड़े हषोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान छात्र-छात्राओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। जिसकी उपस्थित लोगों ने सराहना की।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि गढ़वाल विवि श्रीनगर के प्रथम छात्र संघ अध्यक्ष व विवि स्थापना आंदोलन समिति के सदस्य एवं आईडीपीएल ऋषिकेश के प्रभारी महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त विक्रम सिंह चौहान ने द्वीप प्रज्जवलित कर किया। मुख्य अतिथि विक्रम सिंह चौहान ने कहा कि तत्कालीन प्रदेश सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में एक विश्वविद्यालय खोलने की अनुमति प्रदान कर दी थी, उस समय बिड़ला परिसर आगरा विश्वविद्यालय के अधीन संचालित किया जाता था। पर्वतीय क्षेत्र में विश्वविद्यालय नैनीताल में खोले जाने की चर्चाएं जोरां पर थी, लेकिन जनता को श्रीनगर में ही विश्वविद्यालय चाहिए था। बताया कि विश्वविद्यालय स्थापना में स्वामी मनमंथन के साथ स्थानीय जनता व महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा। स्थानीय जनता के आंदोलन को देखते हुए तत्कालीन सरकार द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में दो विश्वविद्यालय खोलने की अनुमति दी गई। जिसके परिणाम स्वरूप 1 दिसंबर 1973 को गढ़वाल विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया। उन्होने आंदोलन के दौरान कई घटनाक्रमों को छात्रों एवं शिक्षकों के समक्ष साझा किया। कार्यक्रम का संचलन करते हुए मुख्य छात्रावास अधीक्षक डॉ. एसएस बिष्ट ने गढ़वाल विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर स्वामी मनमंथन के योगदान व उनके जीवन संघर्ष पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में गढ़वाल विवि के प्रभारी कुलपति प्रो. एमएमएस रौथाण, प्रभारी कुलसचिव अनीस उज जमान, जन संपर्क अधिकारी आशुतोष बहुगुणा सहित विवि के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, छात्र प्रतिनिधि एवं कर्मचारी प्रतिनिधि मौजूद रहें।