कोटद्वार-पौड़ी

फर्जी होगा नामकरण, तीलू रौतेली का होगा अपमान

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-कोटद्वार के लालबत्ती चौक का नाम पहले ही शासन ने कर दिया था सर्वोदय चौक
-नगर पालिका के निर्णय को बदलने का नहीं है नगर निगम में प्रस्ताव
-शासन के अधीन चौराहों और भवनों के नामकरण का अधिकार नहीं है नगर निगम को
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : नगर निगम की महापौर हेमलता नेगी की ओर से अपने पति पूर्व काबीना मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी की मौजूदगी में कोटद्वार नगर निगम के लाल बत्ती चौक, जिसे पूर्व में शासन द्वारा तत्कालीन नगर पालिका परिषद के प्रस्ताव के अनुसार सर्वोदय चौक स्वीकृत किया गया था, का पुन: नामकरण कर वीर बाला तीलू रौतेली के नाम पर करने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्मा गया है। नगर पालिका परिषद कोटद्वार के पूर्व अध्यक्ष एवं समाज के अन्य लोग जहां इसे गैरकानूनी बता रहे हैं, वहीं राजनीतिक गलियारों में इसे चुनावी स्टंट कहा जा रहा है।
नगर पालिका परिषद कोटद्वार को अपगे्रड करते हुए कोटद्वार भाबर के ग्रामीण क्षेत्रों को मिलाकर 2018 में अस्तित्व में आए नगर निगम कोटद्वार की पहली महापौर हेमलता नेगी ने पूर्व की नगर पालिका के प्रस्ताव को अनदेखा करते हुए लालबत्ती चौक का नाम वीर बाला तीलू रौतेली के नाम पर करने की घोषणा की है। जबकि यह चौक अभी तक सरकारी कागजों में सर्वोदय चौक के नाम से नगर निगम के इतिहास के पन्नों में दर्ज है। पूर्व पालिकाध्यक्षों का कहना है कि पूर्व में किसी भी बोर्ड के द्वारा पारित प्रस्ताव को नए बोर्ड द्वारा विषम परिस्थितियों में ही निरस्त करने का प्रस्ताव लाया जा सकता है। जिसके लिए पूरी विषम परिस्थितियों का हवाला देना जरूरी है। लेकिन नगर निगम ने इस मामले में न तो पूर्व पालिका बोर्ड बैठक के प्रस्ताव को निरस्त किया, बल्कि अपने तथाकथित प्रस्ताव को शासन से अनुमोदित कराए बिना ही लाल बत्ती चौक का नाम अपने आप वीर बाला तीलू रौतेली के नाम पर करने की घोषणा की। इस स्थिति में महापौर की घोषणा सरकारी दस्तावेजों के बिना फर्जी घोषित हो जाएगी। जिससे तीलू रौतेली का भी अपमान होगा।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि तीलू रौतेली को सम्मान देने के लिए कोटद्वार नगर निगम में अभी भी झंडाचौक सहित दर्जनों चौराहे बिना नाम के हैं, जिनमें से किसी भी चौक का नाम पूरी वैधानिक कार्रवाई करते हुए तीलू रौतेली के नाम पर किया जा सकता था। जो कि किसी भी स्थिति में स्थायी होता, लेकिन लाल बत्ती चौक जिसका नाम सरकारी कागजों में सर्वोदय चौक दर्ज हो गया है। उसको मिटाना सर्वोदयी अनुयायियों एवं विनोबा भावे के चाहने वालों को भी बर्दाश्त नहीं होगा। इस प्रकार तीलू रौतेली को विवादों में डालकर उनको अपमानित करने की स्थिति आ सकती है।

क्या है नामकरण का नियम
नगर पालिका और नगर निगम स्वायत्तशासी संस्थाएं हैं। जो अपने-अपने क्षेत्र के विकास, संस्कृति एवं सामाजिक प्रथाओं को जीवित रखने के लिए समय-समय पर जनता द्वारा चुने गए बोर्ड सदस्यों की बैठक में प्रस्ताव पारित करती रहती है। नगर निगम द्वारा पारित प्रस्तावों को संबंधित आयुक्त को भेजा जाता है। जो शासन का प्रतिनिधित्व करता है। आयुक्त द्वारा अपने स्तर से सहमत होने वाले प्रस्तावों को स्वीकार/अस्वीकार किया जाता है तथा शासन स्तर के प्रस्तावों को शासन को भेजा जाता है। शासन द्वारा अनुमोदन मिलने के बाद ही नगर निगम के प्रस्ताव को वैधानिक शक्ति मिलती है। लाल बत्ती चौक के नामांतरण के प्रस्ताव में ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है।
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कैप्शन:-यह है कोटद्वार का लाल बत्ती चौक, जिसका नाम रखा गया है वीर बाला तीलू रौतेली चौक


नगर पालिका के प्रस्ताव को नगर निगम नहीं कर सकता निरस्त : विजय नारायण सिंह
पूर्व पालिकाध्यक्ष विजय नारायण सिंह का कहना है कि नगर निगम को पूर्व की नगर पालिका में पारित प्रस्तावों को निरस्त करने का अधिकार नहीं होता है। इसके अलावा चौक चौराहों के नाम बदलने के लिए भी नगर निगम को शासन को प्रस्ताव भेजना होता है। शासन से प्रस्ताव को अनुमोदन मिलने के बाद चौक चौराहों का नामकरण किया जा सकता है।


मनमानी कर रहा है नगर निगम : रश्मि राणा
पूर्व पालिकाध्यक्ष रश्मि राणा का कहना है कि लालबत्ती चौक के नामकरण से पहले नगर निगम को प्रस्ताव शासन को भेजना चाहिए था। लेकिन यहां मनमाने तरीके से नामकरण कर दिया गया। उन्होंने कहा कि ‘मैरे कार्यकाल में लालबत्ती चौक का नाम सर्वोदय चौक रखने का प्रस्ताव पारित हो गया था। हालांकि शासन स्तर समेत तमाम परेशानियों के चलते उस वक्त लालबत्ती चौक का नाम सर्वोदय चौक नहीं रखा जा सका था।’


नाम बदलने को लेकर शासन की मंजूरी जरूरी : पूरण सिंह
पूर्व पालिकाध्यक्ष पूरण सिंह का कहना है कि नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत किसी भी चौराहे का नामकरण करने के लिए शासन की मंजूरी जरूरी है। इसके अलावा पुरानी बोर्ड बैठक में पारित प्रस्ताव को भी विषम परिस्थितियों में ही नई बोर्ड बैठक में निरस्त करने का प्रस्ताव लाया जा सकता है।


बिना कागजी कार्रवाई के तीलू रौतेली के नाम पर चौक का नाम रखना वीर बाला का अपमान: शैलेंद्र सिंह बिष्ट गढ़वाली
भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य शैलेंद्र सिंह बिष्ट गढ़वाली का कहना है कि बिना कागजी कार्रवाई के चौक का नाम वीर बाला तीलू रौतेली रखना उनका अपमान करने जैसा है। नगर निगम महापौर ने अपनी मनमानी के चलते सर्वोदयी सोच व विनोबा भावे का भी अपमान किया है। जब पूर्व में लालबत्ती चौक का नाम सर्वोदय चौक रखा जा चुका है तो उसे बिना शासनादेश के बदलना सही नहीं है। नगर निगम का यह निर्णय समाज को भ्रमित करने वाला है, जिसे बदला जाना चाहिए। वीर बाला तीलू रौतेली के नाम से शहर में अन्य चौकों के नाम रखे जा सकते हैं वो भी पूरी कानूनी कार्रवाई के बाद। यही तीलू रौतेली को सच्चा सम्मान होगा।

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