सभी पुलों के जोखिम की होगी लगातार निगरानी: गडकरी
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। हाल में पुल और फ्लाईओवर निर्माण के दौरान हुई दुर्घटनाओं पर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि हम गुणवत्ता को लेकर बहुत सतर्क हैं और सभी मामलों की जांच के साथ ठेकेदारों का ट्रैक रिकार्ड भी चेक किया जा रहा है। गडकरी ने कहा कि कुछ घटनाओं के आधार पर कोई दृष्टिकोण बनाना ठीक नहीं है। दुर्घटना और दोषपूर्ण निर्माण में अंतर है।
मोदी सरकार में पिछले नौ साल में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की उपलब्धियां गिनाते हुए गडकरी ने यह भी कहा कि जल्द ही एक डिवाइस के जरिये सभी पुलों की निगरानी की प्रणाली बना दी जाएगी। इससे पुल की सुरक्षा को लेकर न केवल लगातार अपडेट मिलते रहेंगे, बल्कि जोखिम की भी समय रहते जानकारी मिलेगी।
गडकरी ने कहा कि यह स्वदेशी तकनीक है, जिस पर मुश्किल से बीस से पच्चीस हजार रुपये प्रति पुल खर्च आएगा। इसकी मदद से देश में कुल 85,000 पुलों पर लगातार निगाह रखी जा सकेगी।
गडकरी ने कहा कि पिछले नौ सालों में देश का रोड नेटवर्क 59 प्रतिशत बढ़ गया है और अब यह अमेरिका के बाद दुनिया में दूसरे स्थान पर है। 2013-14 में यह नेटवर्क केवल 91,287 किलोमीटर था, लेकिन आज यह 1,45,240 किमी है। अमेरिका के फेडरल हाईवे एडमिनस्ट्रेशन के अनुसार उसका हाईवे नेटवर्क 2,60,000 किमी है।
चार लेन के राष्ट्रीय राजमार्ग में भी पिछले नौ साल में दो गुना बढ़ोतरी हुई है। 2013-14 में देश में 18,371 किमी चार लेन हाईवे था, जो अब 44,654 किमी है। गडकरी ने पिछले नौ साल में उनके मंत्रालय की ओर से बनाए गए सात विश्व रिकार्ड का जिक्र करते हुए कहा कि यह टीम वर्क के साथ तकनीकी प्रगति का ही नतीजा है।
फास्टैग का असरटोल प्लाजा से आने वाले राजस्व में भी लगभग नौ गुना की बढ़ोतरी हुई है। अगर 2013-14 से तुलना की जाए तो यह राजस्व 4770 करोड़ रुपये से बढ़कर 41342 करोड़ रुपये हो गया है।
सरकार 2030 तक इसे 1,30000 करोड़ के स्तर तक ले जाना चाहती है। गडकरी ने बताया कि फास्टैग के इस्तेमाल टोल प्लाजा में प्रतीक्षा का समय घटकर 47 सेकेंड रह गया है। नौ साल पहले इसमें तीन मिनट के करीब लगते थे, लेकिन अब यह समय एक मिनट से भी कम है। सरकार इस समय को 30 सेकेंड के स्तर पर लाना चाहती है, जबकि 2047 तक इसे शून्य कर देने का लक्ष्य है।
गडकरी ने फास्टैग के कारण यात्रा के दौरान अनुभव में आए बदलाव का जिक्र करते हुए कहा कि इसने टोल भुगतान में क्रांतिकारी परिवर्तन की जमीन तैयार की है। कैश लेन-देन की जरूरत खत्म हुई है। एक रिसर्च के अनुसार इससे अनुमानत: 70,000 करोड़ रुपये के ईंधन की बचत हुई है, क्योंकि लोगों का टोल प्लाजा में इंतजार खत्म हुआ है।
टमाटर की बढ़ती कीमतों की वजह से आम आदमी काफी का बजट हिल चुका है। इसी बीच भारत सरकार ने लोगों को राहत भरी खबर सुनाई है। उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा रखे गए आंकड़ों के अनुसार 27 जून को अखिल भारतीय आधार पर टमाटर की औसत कीमत 46 रुपये प्रति किलोग्राम है। मॉडल मूल्य 50 रुपये प्रति किलोग्राम है जबकि अधिकतम कीमत 122 रुपये प्रति किलोग्राम है।