उत्तराखंड

चुनाव ड्यूटी के बाद आशााओं को भूली सरकार

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बागेश्वर। विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आशाओं को जिला प्रशासन और सरकार भूल गई है। छह महीने बीत जाने के बाद भी उन्हें चुनाव ड्यूटी की राशि नहीं मिली है, जबकि चुनाव में करोड़ों का खर्च किया गया। आशाओं ने कोरोना काल से लेकर चुनाव में अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। डब्लूएचओ ने भी उनकी तारीफ की है। मालूम हो कि आशाओं को 2005 में राज्य में तैनात की गई। तब उनके ऊपर मातृ-शिशु मृत्यु दर कम करने की जिम्मेदारी थी। इसके अलावा उनकी ड्यूटी पोलियो ड्राप पिलाने और टीकाकरण रहती थी। 2019 में कोरोना जैसी वैश्विक बीमारी आई। इससे निपटने के लिए आशाओं को और मजबूत किया गया। उन्होंने इस भूमिका को बखूबी निभाया। इसके बाद कोरोना टीकारण की जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने कोरोना टीकाकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसके बाद उन्हें लोकतंत्र के महापर्व में जिम्मेदारी निभाने की जिम्मेदारी दी गई। विधानसभा चुनाव में जिले की करीब 450 आशाओं ने मतदान केंद्र में जाकर पहले पीठीसीन अधिकारी को सेनेटाइजर समेत उपकरण सौंपे। मतदान केंद्र में जागरूकता का पोस्टर भी लगाया। मतदान के दिन सुबह आठ बजे से मतदान समाप्ति तक डटे रहे। इस दौरान वह मतदाताओं को ग्लब्ज, मास्क दिए। थर्मल स्कैन मशीन से तापमान तापमान नामा। तापमान बढ़ने पर उन्हें रोका। इसके बाद भी उनकी उपेक्षा जारी है। छह महीने बीत जाने के बाद भी ड्यूटी का पैसा नहीं मिला। अब आशाएं आंदोलन का मन बना रही हैं। इधर जिलाधिकारी रानी जोशी ने बताया कि वह इस मामले पर जल्द पहल करेंगी। चुनाव आयोग से भी इस मामले में बात की जाएगी।

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