उत्तराखंड

स्टोन क्रशर के लाइसेंस को दुबारा संशोधित करे सरकार

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नैनीताल। हाईकोर्ट ने बुधवार को रामनगर के सक्खनपुर में स्थित मनराल स्टोन क्रशर के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए सरकार को निर्देश दिए हैं कि मनराल स्टोन क्रशर को दिए गए लाइसेंस को दोबारा से संशोधित करें। सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई। आज सुनवाई में सेक्रेट्री इंडस्ट्रियल आर मीनाक्षी सुंदरम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि स्टोन क्रशर को लाइसेंस मानकों के अनुरूप दिया गया है और स्टोन क्रशर नियमावली में संशोधन किया है। स्टोन क्रशर के पास 2023 तक का लाइसेंस है। पूर्व में कोर्ट ने पूछा था कि क्या राज्य सरकार ने स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति देने से पूर्व साइलेंट जोन, इंडस्ट्रियल जोन और रेजिडेंशियल जोन का निर्धारण किया था। सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को अवगत कराया था कि राज्य को बने 21 साल हो गए हैं, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि कौन सा क्षेत्र रेजिडेंशियल है, कौन सा इंडस्ट्रियल और कौन सा साइलेंट जोन है। जहां मर्जी हो, वहां स्टोन क्रशर खोले जाने की अनुमति दी जा रही है। जबकि हाईकोर्ट ने भी अपने आदेश में कहा था कि न्यायालय के आदेश के बिना स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति नहीं दी जाए। उसके बाद भी पीसीबी व सरकार ने पुरानी तिथि से इसे लगाने की अनुमति दे दी। यह स्टोन क्रशर आबादी क्षेत्र में लगाया गया है।
यह है याचिका- रामनगर निवासी आनंद सिंह नेगी ने जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा है कि कर्बेट नेशनल पार्क के समीप सक्खनपुर में मनराल स्टोन क्रशर अवैध रूप से चल रहा है। स्टोन क्रशर के पास पीसीबी का लाइसेंस नहीं है। स्टोन क्रशर कर्बेट नेशनल पार्क के समीप लगाया है। याची का यह भी कहना है उत्तराखंड में अभी तक राज्य सरकार द्वारा राज्य में साइलेंट जोन, इंडस्ट्रियल जोन और रेजिडेंशियल जोन का निर्धारण नहीं किया गया है। लिहाजा इन स्टोन क्रशरों को बंद किया जाए।

 

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