उत्तराखंड

जिले में धूमधाम के साथ मनाई हरिशयनी एकादशी

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बागेश्वर। जिले में हरिशयनी या देवशयनी एकादशी धूमधाम के साथ मनाई गई। सनातन धर्म को माानने वाले लोगों ने आंगन में तुलसी का पौधा रोपा और मंगलमय की कामना की। इसी दिन से चार्तुमास का भी आगाज माना जाता है। अब सृष्टि के पालनकर्ता व संचालक भगवान बिष्णु चार महीने के शयन या योगनिंद्रा में चले जाते हैं। और सृष्टि की जिम्मेदारी भगवान शिव निभाते हैं। पंडित हेम जोशी ने बताया कि हरिशयारी ने चातुर्मास ब्रत का भी शुभारंभ होता है। पुराणों के अनुसार इस वक्त भगवान विष्णु और सागर की अनंत शैय्या पर योगनिंद्रा के लिए चले जाते हैं। चातुर्मास के प्रारंभ की एकादशी को को देवशयनी एकादशी भी कहा जाता है। चातुर्मास के अंतिम एकादशी को हरबोधिनी एकादशी आती है। उसे उसे देव उठानी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान का उठने का समय होता है। इन चार महीनों में विष्णु शयन करते हैं। जिसके चलते इन महीनों में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के संचालन कर कार्य विष्णु के हाथ में रहता है। लेकिन उनके शयन काल में चले जाने के कारण संचालन का कार्य शिव और उनके परिवरा पर आ जाती है। चातुर्मास में भगवान शिव और उनके परिवार से जुड़े व्रत-त्यौहार आदि मनाए जाते हैं। श्रावण माह पूरा शिव को समर्पित रहा है। इसमें श्रद्घालु एक महीने तक उपवास रखते हैं। भाद्रपद माह में दस दिनों तक भगवान गणेश का जन्मोत्सव मनाया जाता है। अश्वनी माह में देवी दुर्गा की अराधना से शारदीय नवरात्र में किया जाता है।

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