आशाओं का पक्ष रखना स्वास्थ्य मंत्री का फर्ज
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। राजकीय कर्मचारी घोषित करने और मानदेय बढ़ाए जाने सहित 12 सूत्रीय मांगों को लेकर की मांग को लेकर 28वें दिन भी आशाओं का प्रदर्शन जारी रहा। आशा कार्यकत्रियों ने कहा कि जब तक उनकी मांगों पर सरकार शासनादेश जारी नहीं करेगी तब तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को आशाओं के बारे में जानकारी नहीं है कि वह क्या कार्य करती है। जब बाल विकास मंत्री आंगनबाड़ी का पक्ष रख सकती है तो स्वास्थ्य मंत्री का भी फर्ज बनता है कि वह आशाओं का पक्ष रखें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का भी फर्ज बनता है कि वह विधायकों से राज्य की जानकारी लेते रहें।
रविवार को तहसील परिसर में प्रदर्शन करते हुए आशा कार्यकत्रिओं ने कहा कि वह पिछले 28 दिन से 12 सूत्रीय मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रही है, लेकिन सरकार उनकी उपेक्षा कर रही है। सरकार उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है। जिससे आशाओं में आक्रोश पनप रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही मांगों पर शासनादेश जारी न होने पर उग्र आंदोलन किया जायेगा। आशाओं ने प्रदेश सरकार से सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने, जब तक मानदेय और कर्मचारियों का दर्जा मिलने तक अन्य विभागों से योजनाओं में लगे कार्मिकों की तरह मानदेय देने, सेवानिवृत्त होने पर पेंशन की सुविधा देने, कोविड कार्यों में लगी आशा कार्यकत्रियों को दस हजार रुपये मासिक भत्ता, 50 लाख रुपये का बीमा और दस लाख का स्वास्थ्य बीमा देने सहित 12 सूत्रीय मांगों को जल्द से जल्द पूरा करने की मांग की। प्रदर्शन करने वालों में अध्यक्ष प्रभा चौधरी, उपाध्यक्ष मीरा नेगी, सचिव रंजना कोटनाला, मधु मंमगाई, कल्पना काला, रीता देवी, नीलम कुकरेती, सुमित्रा भट्ट, राखी रावत, कलावती देवी, ऊषा देवी, गोदाम्बरी, रेनू देवी, कमला शाह, बीना बच्छवाण, ललिता चौहान, हेमलता चौहान, मंजू नेगी, आशा ढौंडियाल, मीनाक्षी, सीमा देवी, सुनीता रावत, धनेश्वरी देवी आदि शामिल थे।