हेलीकॉप्टर की मदद से राहत सामग्री पहुंचाई
चमोली।सोमवार को सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से सेना और एनडीआरएफ के जवान जोशीमठ पहुंचे। इसके बाद यहां से उन्हें विभिन्न वाहनों से मौके के लिए रवाना किया गया। जिले के मलारी हाईवे पर पुल बहने के चलते प्रभावित इलाकों रैणी और तपोवन आदि गांवों में सोमवार को हेलीकॉप्टर की मदद से राहत सामग्री पहुंचाई गई। जिले के इन सीमांत गांवों का संपर्क दूसरे छोर से कट गया है। बता दें कि बीती रविवार को जोशीमठ विकासखंड के रैणी गांव में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट के ऊपर हिमखंड टूटने से आए सैलाब के चलते रैणी से लेकर तपोवन तक व्यापक तबाही मची थी। तपोवन में एनटीपीसी की 520 मेगावाट की तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना का बैराज भी तबाह हो गया था। इस बाढ़ में व्यापक जनहानि भी हुई। सेना, आइटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और प्रशासन की टीमें लगातार राहत-बचाव कार्य में जुटी हैं। वहीं रैणी में मलारी हाईवे पर पुल बहने से 13 से अधिक गांवों का संपर्क कट गया है। उप जिलाधिकारी जोशीमठ कुमकुम जोशी ने बताया कि लाता गांव में 75 और भंग्यूल में 25 पैकेट राहत सामग्री बांटी गई है। अन्य आपदा प्रभावित गांवों में भी राहत सामग्री बांटी जा रही है। राहत सामग्री में खाने का सामान, बिस्किट, राशन और अन्य चीजें शामिल हैं। पैंग गांव तक नहीं पहुंची मदद: पैंग की ग्राम प्रधान शोभा देवी का कहना है कि हेलीकॉप्टर से रैणी के दूसरे छोर पर बसे सीमावर्ती गांवों में रसद-दवाएं आदि पहुंचाने की बात सुनने में आ रही है। लेकिन, पैंग गांव में अभी तक कोई मदद नहीं पहुंची है। बताया कि गांव में दो दिन से अंधेरा पसरा है। रात होते ही ग्रामीण खौफजदा हो जाते हैं। पहले हमारे गांव में बिजली बहाल होनी चाहिए। ग्राम प्रधान ने यह भी कहा कि सीमावर्ती गांवों में सुविधाएं ना के बराबर है, यह भी किसी आपदा से कम नहीं है। सोमवार को सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से सेना और एनडीआरएफ के जवान जोशीमठ पहुंचे। इसके बाद यहां से उन्हें विभिन्न वाहनों से मौके के लिए रवाना किया गया।