राम मंदिर की सुरक्षा को लेकर अयोध्या से नेपाल बॉर्डर तक हाई अलर्ट
नई दिल्ली, एजेंसी। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे राम मंदिर परिसर का अचूक सुरक्षा घेरा तैयार किया जा रहा है। मंदिर में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए अयोध्या से लेकर नेपाल बॉर्डर तक हाई अलर्ट रहेगा। अतीत में कई ऐसे अलर्ट मिले हैं, जिनमें अफगानिस्तान और पाकिस्तान के आतंकी समूह, नेपाल सीमा के जरिए उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर अयोध्या के राम मंदिर की तरफ आने का दुस्साहस करने की फिराक में हैं। यही वजह है कि नेपाल से लगती यूपी की करीब 570 किलोमीटर सीमा पर विशेष चौकसी बरती जा रही है। नेपाल बॉर्डर से लगते यूपी के जिले खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, महाराजगंज, बलरामपुर सिद्धार्थनगर और पीलीभीत में इंटेलिजेंस टीम तैनात हैं। इन जिलों में करीब 257 ऐसे कच्चे रास्ते हैं, जो सीधे नेपाल बॉर्डर की ओर जाते हैं। अयोध्या में राम मंदिर के अलावा शहर के बाकी हिस्सों में लगे दस हजार से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। इनमें से चुनींदा प्वाइंट पर लगे कैमरों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जोड़ा गया है। कोई भी पुलिस कर्मी, अपना ड्यूटी स्थान छोड़कर दूसरी जगह पर नहीं जा सकता। मंदिर परिसर में तैनात कोई पुलिस कर्मी, बिना आज्ञा के मुख्य स्थल तक पहुंचने का प्रयास करता है, तो ‘एआई’ द्वारा तुरंत अलर्ट जारी कर दिया जाएगा। ऐसा प्रयास करने वाला कोई भी व्यक्ति, किसी भी तरह सुरक्षा गेट से आगे नहीं जा सकेगा।
केंद्रीय एजेंसियों के मुताबिक, राम मंदिर परिसर की सुरक्षा के लिए एक विशेष इंटेलिजेंस सेल बनाया गया है। यहां पर मंदिर को लेकर किसी एजेंसी को जो भी इनपुट मिलता है, उसे साझा किया जाता है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए इंटेलिजेंस विंग केंद्र/राज्य के कर्मियों की संख्या बढ़ा दी गई है। सबसे ज्यादा ध्यान नेपाल से लगते सीमावर्ती इलाकों पर है। वहां पर जितने भी कच्चे रास्ते, जो नेपाल की तरफ जाते हैं, वहां पेट्रोलिंग बढ़ाई गई है। एसएसबी के जवान 24 घंटे गश्त कर रहे हैं। पाकिस्तान के आतंकियों द्वारा मंदिर परिसर पर हमला करने की धमकी पहले भी आती रही हैं। इस तरह के हमलों की धमकी के पीछे ‘लश्कर-ए-तैयबा’ (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे आतंकी संगठनों का हाथ बताया जाता है। ऐसे भी इनपुट मिले हैं कि 22 जनवरी से पहले अयोध्या और उसके आसपास, सांप्रदायिक दंगा कराने का प्रयास किया जाए। फिदायीन अटैक यानी मंदिर में ‘पुलिस और फौज’ की वर्दी में घुसकर हमला करना, सुरक्षा एजेंसियों को ऐसे इनपुट भी मिले हैं। इन सबके चलते ही मंदिर परिसर में ‘एआई’ तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
मंदिर परिसर को पूरी तरह से ‘नो-फ्लाइंग जोन’ घोषित किया गया है। यहां से ड्रोन, हवाई जहाज या चॉपर, कोई भी नहीं गुजर सकेगा। एक ऐसा उपकरण भी राम मंदिर की सुरक्षा में लगाया गया है, जो दूर से ही ड्रोन या वैसी ही किसी वस्तु को मंदिर की तरफ आने से रोक देगा। इस उपकरण की खासियत यह होगी कि इसकी मदद से कई किलोमीटर के दायरे में मंदिर की तरफ आती वस्तु का पता चल जाएगा। इतना ही नहीं, ये उपकरण उस वस्तु को मंदिर तक पहुंचने से पहले ही जाम कर देगा। अगर कोई हैवी मशीनरी वाली वस्तु है तो उसकी दिशा बदली जा सकती है। एक अधिकारी के मुताबिक, अगर वह वस्तु नीचे नहीं गिरती है, तो उसे शूट कर गिराया जा सकता है।
मंदिर की सुरक्षा में सीआरपीएफ, उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल (यूपीएसएसएफ), स्थानीय पुलिस और पीएसी तैनात है। इंटेलिजेंस इनपुट जुटाने के लिए अलग से एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। मंदिर का सुरक्षा घेरा छह स्तरीय है। इसे भेदना आसान नहीं है। मंदिर परिसर की सुरक्षा को तीन भागों में बांटा गया है। रेड जोन में मंदिर परिसर के अंदर वाला हिस्सा शामिल है। येलो जोन में आसपास के वे सभी रास्ते शामिल किए गए हैं, जो मंदिर परिसर की तरफ जाते हैं। ग्रीन जोन का दायरा इससे कुछ ज्यादा होता है। वहां पर तैनात सुरक्षा बल, सभी तरह के हमलों का जवाब देने में पारंगत हैं। अगर कोई आतंकी हमला होता है या विस्फोट के जरिए कोई व्यक्ति/समूह, मंदिर को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करता है, तो उसे पहले ही खत्म कर दिया जाएगा। मंदिर परिसर में बमरोधी दस्ते की स्थायी तैनाती की गई है। राम मंदिर तक पहुंचने के मार्ग, सुरक्षा के हिसाब से तय किए गए हैं। एक स्पेशल मार्ग है, जहां पर तीन जगह चेकिंग होती है। ऐसा नहीं है कि कोई व्यक्ति किसी भी मार्ग से मुख्य मंदिर तक पहुंच सकता है। उसके लिए एक मार्ग निश्चित किया गया है। मंदिर में कुछ भी लाना वर्जित है।
सुरक्षा बलों ने ‘डार्क नेट’ के इस्तेमाल से निपटने के लिए भी विशेष तैयारी की है। गत वर्ष, एक व्यक्ति ने डार्क नेट का इस्तेमाल कर मंदिर को उड़ाने की धमकी दी थी। पुलिस की तत्परता से वह व्यक्ति पकड़ा गया। इसके बाद सोशल मीडिया पर भी सुरक्षा एजेंसियों की नजर है। डार्क नेट और इंटरनेट के जरिए अपराध को अंजाम देने वाले दूसरे तौर तरीकों पर भी नजर रखी जा रही है। मंदिर की सुरक्षा के लिए आसपास के इलाके में भी गहन जांच पड़ताल होती है। स्थानीय निवासियों के यहां पर कौन आ रहा है, ये सब बताना पड़ता है। अयोध्या में जिन लोगों ने मेहमानों को अपने यहां बतौर पेईंग गेस्ट रखा है, उनकी पूर्ण जानकारी जुटाई जा रही है। इसका एक रिकॉर्ड तैयार किया गया है। अयोध्या में विभिन्न जिलों के 100 से अधिक डीएसपी, लगभग 325 इंस्पेक्टर व 800 उपनिरीक्षक तैनात किए जा रहे हैं। अयोध्या में मुख्य समारोह से पहले पुलिस और अर्धसैनिक बलों के 11,000 जवान तैनात होंगे।