उत्तराखंड

हाईकोर्ट ने रेलवे भूमि अतिक्रमणकारियों के दस्तावेज रिकर्ड में लिए

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हल्द्वानी। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने रेलवे भूमि के अतिक्रमणकारियों को सुनते हुए उनके दस्तावेजों को रिकर्ड में ले लिया है। कोर्ट ने कहा है कि याचिका निस्तारित होने तक उन्हें अवश्य सुना जाएगा। न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए कोई तिथि नियत नहीं की है। पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि जो लोग इससे प्रभावित हैं, वो दो सप्ताह के भीतर अपना पक्ष समस्त दस्तावेजों के साथ कोर्ट में रख सकते हैं। इसी क्रम में आज कई लोगों ने दस्तावेज कोर्ट के समक्ष रखे। 9 नवंबर 2016 को रविशंकर जोशी ने रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। कोर्ट ने 10 सप्ताह के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी हैं, उनको रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जनसुनवाई की जाए। रेलवे की ओर से पक्ष रखा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, जिन पर करीब 4365 लोग मौजूद हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर इन लोगों को पीपीएक्ट में नोटिस दिया गया, जिनकी सुनवाई भी कर ली गई है। किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गए है। इनको हटाने के लिए रेलवे ने जिलाधिकारी नैनीताल को सुरक्षा दिलाए जाने के लिए दो बार पत्र दिया, जिस पर आज की तिथि तक कोई प्रतिउत्तर नहीं दिया गया। जबकि दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिशा निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगों को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगों को छह सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं। इन्हें राज्य में कहीं भी बसाने की जिमेदारी जिला प्रशाशन व राज्य सरकारों की होगी। अगर इनके सभी पेपर वैध पाए जाएं तो राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको आवास मुहैया कराए।

 

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