हिमालय के देश आपदा प्रबंधन के लिए शोध संस्थान स्थापित करें
नैनीताल। हिमालय में आपदा प्रबंधन के लिए शोध संस्थानों की स्थापना की जरूरत है। जिसमें भारत के साथ नेपाल, भूटान सहित हिमालयी बेल्ट के देशों को शामिल किया जाना चाहिए। इसके लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान को पहल करने की जरूरत होगी। नैनीताल स्थित एटीआई में जलवायु परिवर्तन के जोखिम और न्यूनीकरण विषय पर आयोजित गोष्ठी के अंतिम दिन इन बिंदुओं पर विशेषज्ञ वक्ताओं ने अपनी सहमति प्रदान की। गोष्ठी के अंतिम दिन पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट एवं राजेन्द्र रतनू मुख्य वक्ता रहे। जिसमें चंडी प्रसाद भट्ट ने एक बार फिर र्यावरण संरक्षण जल, जंगल, जमीन, जीव, जन्तुओं पर पड़ रहे प्रभाव पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने सुझाव दिया कि हिमालयी राज्यों को साथ लेकर एक आपदा शोध संस्थान उत्तराखंड में स्थापित किया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान से भी सहयोग देने की बात कही। समापन सत्र में अपने वक्तव्य में कार्यकारी निदेशक राजेन्द्र रतनू ने आपदा प्रबंधन के विभिन्न आयामों पर चर्चा की। जिनमें सामुदायिक, सांस्तिक, विकसित बहुआयामी संकल्पों को साथ लेते हुए भौगोलिक स्थलाति के अनुरूप कार्यवाही पर जोर दिया। एक राष्ट्रीय स्तर के ऐसे संस्थना की परिकल्पना की जिसमें जलवायु परिवर्तन, हिमस्खलन, भू-स्खलन, भूकंप, बाढ़ के आंकलन का अध्ययन किया जा सके। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान ने देश में हिमालयन डायलग पर एक श्रृंखला शुरू करने का आश्वासन दिया। तकनीकी सत्रों को मुख्य चेयर पर्सन पद्मश्री प्रो़ शेखर पाठक, आईआईटी दिल्ली के ड़ आकाश सोंधी, सामाजिक कार्यकर्ता अतुल सती रहे। तीनों ने पर्यावरण से हो रहे खिलवाड़ के कारण आ रही आपदाओं पर प्रकाश डाला। एटीआई के संयुक्त निदेशक (प्रशासन) अकादमी प्रकाश चन्द्र द्वारा सभी अतिथिवार्ताकारों तथा प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। कार्यशाला में प्रो़ सूर्य प्रकाश, ड़ अजय चौरसिया, ड़क कपिल जोशी, हिमाचल की न्याय कार्यकर्ता मानसी ऐसर आदि उपस्थित रहे।