बिग ब्रेकिंग

अगर एक सेंकेंड की फुर्ती नहीं दिखाते शिकारी जॉय हुकिल तो खुद गुलदार का हो जाते शिकार

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

पांच मीटर से कम दूरी पर हुआ नरभक्षी मादा गुलदार से आमना सामना
41 नरभक्षी गुलदारों को मार चुकें हैं मशहूर शिकारी जॉय हुकिल
राजीव खत्री
पौड़ी।
बृहस्पतिवार रात का समय है। मशहूर शिकारी जॉय हुकिल अपने सहयोगी अजहर के साथ चौबट्टाखाल तहसील के मजगांव ग्राम पंचायत के डबरा गांव के खेतों में नरभक्षी मादा गुलदार के इंतजार में बैठे हैं। यहां एक मादा नरभक्षी गुलदार ने खेतों में काम कर रही महिला को अपना निवाला बना दिया था। जॉय हुकिल अपने सहयोगी अजहर के साथ उसी स्थान पर बैठे हैं जहां गुलादर के हमले में मृत महिला के खून से सने कपडे़ पडे़ हुए हैं। करीब साढ़े आठ बजे झड़ियों में कुछ सरसराहट होती है। जॉय हुकिल अपने सहयोगी अजहर को झडियों में टार्च लगाने को कहते हैं और झड़ियों की ओर बढ़ जाते हैं। टार्ज के उजाले में दो आंखें चमकती हुई दिखाई देती है। जाय हुकिल व अजहर कुछ समझ पाते कि अचानक झड़ियों से गुलदार दहाड़ते हुए हमला करने के लिए आगे बढ़ता है। जॉय हुकिल तुरंत गोली दाग देते हैं, जो गुलदार के खुले मुंह को चीरते हुए आगे निकल जाती है और नरभक्षी मादा गुलदार वहीं ढेर हो जाती है।
गुलदार व जॉय हुकिल के बीच मात्र पांच मीटर का दायरा था। गोली चलने में यदि थोड़ी देर होती तो घटना कुछ और हो सकती थी। यह पूरा वाकया मशहूर शिकारी जॉय हुकिल ने घटना के बाद हमारे सीनियर रिपोर्टर राजीव खत्री से फोन पर साझा किया। जॉय हुकिल अब तक 41 नरभक्षी गुलदारों का शिकार कर चुके हैं। जॉय हुकिल ने पहली बार वर्ष 2007 में कीर्तिनगर के सिल्काखाल क्षेत्र में नरभक्षी गुलदार का शिकार किया था। जॉय हुकिल बताते हैं कि इस समय सिल्काखाल क्षेत्र में दो नरभक्षी गुलदारों का आतंक था। इसके दो साल बाद वर्ष 2009 में नरभक्षी गुलदार का शिकार करने का मौका मिला। तब से लेकर अब तक हुकिल 41 नरभक्षी गुलदारों को ढेर कर चुके हैं। हुकिल कहते हैं कि बेजुबान जानवर को मारने के बाद मन बहुत व्यथित होता है। लेकिन नरभक्षी गुलदारों से मानव जीवन को बचाने व समाज सेवा के लिए वह ये सब करते हैं। जॉय हुकिल कहते हैं कि निहत्थे बेजुबान जानवर को मारना गर्व की बात नहीं है। मानव जीवन को बचाने के लिए इसे मजबूरी में मारना पड़ता है। जानवर को मारना अंतिम विकल्प है। हुकिल कहते हैं कि नरभक्षी गुलदार को मारना इसलिए भी जरूरी हो जाता है कि ताकि इसका अनुकरण कर अन्य गुलदार भी नरभक्षी न बनें। हुकिल बृहस्पतिवार रात को मंजगांव ग्राम पंचायत के डबरा गांव में किए गए नरभक्षी मादा गुलदार के एनकाउंटर को अपने जीवन का बेहद खतरनाक शिकारों में से एक बताते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!