कोटद्वार-पौड़ी

सिस्टम की अनदेखी, वन में बिगड़े वाटिका के नक्षत्र

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

कोटद्वार रेंज की पनियाली बीट में बीस लाख की लागत से बनाई गई थी नक्षत्र वाटिका
सरकारी सिस्टम की अनदेखी से असामाजिक तत्वों का अड्डा बनी नक्षत्र वाटिका
जयन्त प्रतिनिधि।
आमजन को नक्षत्रों से जुड़े पौधों के बारे में जानकारी देने के लिए लैंसडौन वन प्रभाग कोटद्वार रेंज की पनियाली बीट में तैयार की गई नक्षत्र वाटिका बदहाल स्थिति में पहुंच चुकी है। शाम ढलते ही वाटिका में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगने लगता है। ऐसे में आमजन ने वाटिका के अंदर घूमना तो दूर आसपास जाना भी छोड़ दिया है। जानकारी होने के बाद भी सरकारी सिस्टम वाटिका के नक्षत्रों को सुधारने की सुध नहीं ले रहा।
वर्ष 2009-10 में मुख्यमंत्री हरित विकास योजना के अंतर्गत लैंसडौन वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज की पनियाली बीट में करीब बीस लाख की लागत से नक्षत्र वाटिका का निर्माण किया गया। पांच अगस्त 2010 को प्रदेश के तत्कालीन खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री दिवाकर भट्ट ने निर्माण कार्य का शिलान्यास किया व अगले दो वर्षों में वाटिका ने आकार ले लिया। वाटिका में नौ ग्रहों, 12 राशियों व 27 नक्षत्रों के हिसाब से पौधे लगाए गए थे। वाटिका के निर्माण से क्षेत्रीय जनता को फायदा हुआ व सुबह व शाम के वक्त वाटिका में बुजर्गों, महिलाओं व बच्चों की चहल-पहल होने लगी। दोनों बगीचों की देखरेख को विभाग की ओर से एक माली भी तैनात किया गया। समय बीता और समय बीतने के साथ ही शासन से नक्षत्र वाटिका के नाम पर मिलने वाला बजट बंद कर दिया गया और निर्माण के तीन वर्ष बाद भी वाटिका की हालत बिगड़ने लगी।

धनराशि नहीं हुई अवमुक्त
करीब आधा हेक्टेयर में फैली इस वाटिका की देखरेख के लिए शासन की ओर से पिछले पांच वर्षों से कोई धनराशि अवमुक्त नहीं हुई है। नतीजा, वाटिका पूरी तरह भगवान भरोसे हैं। बजट न मिलने के कारण यहां तैनात माली को भी हटा दिया गया है। देखरेख के अभाव में जंगल में तब्दील हो चुकी नक्षत्र वाटिका पूरी तरह असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गई है। शाम ढलते ही वाटिका में शराबियों का अड्डा जमने लगता है।

नक्षत्र वाटिका की स्थिति में सुधार के लिए स्थानीय लोग कई बार शासन-प्रशासन से शिकायत भी कर चुके हैं। लेकिन, अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। नतीजा अब लोगों ने नक्षत्र बाटिका में जाना ही बंद कर दिया है। शाम ढ़लते ही वाटिका में केवल असामाजिक तत्व ही नजर आते हैं। वन विभाग भी नक्षत्र वाटिका की स्थिति सुधारने को गंभीर नहीं दिख रहा।

इन पौधों का हुआ था रोपण
नक्षत्र वाटिका में ग्रह-नक्षत्रों के हिसाब से पौधों का रोपण किया गया था।
नक्षत्र पौधा

अश्विनी केला, आक, धतूरा

भरणी केला, आंवला

कृत्तिका गूलर

रोहिणी जामुन

मृगशिरा खैर

आद्र्रा आम, बेल

पुनर्वसु बांस

पुष्य पीपल

आश्लेषा नाग केसर अथवा चंदन

मघा बाड़

पूर्वाफाल्गुनी ढाक

उत्तराफाल्गुनी बड़ अथवा पाकड़

हस्त रीठा

चित्रा बेल

स्वाति अर्जुन

विशाखा नीम अथवा विकंक

अनुराधा मौलसिरी

ज्येष्ठा रीठा

मूल राल का पेड़

पूर्वाषाढ़ा मौलसिरी/जामुन

उत्तराषाढ़ा कटहल

श्रवण आक

धनिष्ठा शमी/सेमर

शतभिषा कदम्ब

पूर्वाभाद्रपद आम

उत्तराभाद्रपद पीपल/सोनपाठा

रेवती महुआ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!