कोटद्वार में एक दंपति ऐसी भी: पति ने 107 तो पत्नी ने किया 60 बार रक्तदान

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार।
समाजसेवी गोविंद डंडरियाल 65 वर्ष की उम्र्र तक 107 बार रक्तदान कर चुके है। वह कई बार रक्तदान करने के लिए देहरादून, जौलीग्रांट, बिजनौर और मुरादाबाद भी गये। उनकी पत्नी श्रीमती कांति देवी भी 60 वर्ष की उम्र तक 59 बार रक्तदान कर चुकी है। इनके अलावा कोटद्वार में अवधेश अग्रवाल 48 वर्ष की उम्र तक 80 बार, सुमित सिंघल 36 वर्ष की उम्र तक 59 बार और कोटद्वार के वरिष्ठ उपनिरीक्षक 18 बार रक्तदान कर चुके है।
गोविंद डंडरियाल वर्ष 1977 में पुलिस विभाग में भर्ती हो गये थे। 31 जुलाई 2010 को पुलिस विभाग से सब इंस्पेक्टर पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। उन्होंने पहली बार 24 अक्टूबर 1978 को रक्तदान किया था। इसके बाद से वह लगातार रक्तदान करते रहे। 16 सितम्बर 2016 तक उन्होंने लगातार 107 बार रक्तदान किया। समाजसेवी गोविंद डंडरियाल ने बताया कि उनकी पत्नी श्रीमती कांति देवी, बड़ा पुत्र सौरभ, छोटा पुत्र गौरव और पुत्र वधू रेनू डंडरियाल भी कई बार रक्तदान कर चुके है। उनके परिवार का यह मानना है कि रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं है, क्योंकि यह दान महादान और जीवनदान कहलाता है। मेरे परिवार के सदस्यों का संकल्प है कि जब तक संभव हो सकेगा स्वयं रक्तदान करेंगे और इस परंपरा को अपने परिवार के अन्य सदस्यों को विरासत के रूप में सौंपेंगे। गोविंद डंडरियाल कहते है कि दूसरों की जिंदगी बचाने से अधिक सुकून कुछ नहीं हो सकता।
बता दें कि डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुसार कोई भी व्यक्ति स्वस्थ रहते हुए अधिकतम 65 वर्ष की आयु तक ही रक्तदान कर सकता हैं। इसलिए समाजसेवी गोविंद डंडरियाल 107 से अधिक बार रक्तदान नहीं कर पाये।

रक्तदान के फायदे ही फायदे
अगर आप एक बार रक्तदान करते हैं तो चार लोगों को नई जिंदगी देते हैं। कारण कि एक यूनिट खून में चार कंपोनेंट (पलेटलेट्स, पीआरबीसी, फ्रेश फ्रोजेन प्लाल्मा, प्रायोपेसीटेंड) तैयार किए जाते हैं। यहीं नहीं रक्तदान के बाद ब्लड बैंक में आधुनिक मशीनों से फ्री में कई बीमारियों की भी जांच हो जाती है और आपकी पूरी बॉडी की भी स्क्रीनिंग कर ली जाती है। इससे पता चल जाता है कि आपके खून में रिएक्शन आदि की कमियां तो नहीं है।

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