Monday, May 6, 2024
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कोटद्वार में व्यवसायिक कर: किसका हंसाना किसका फंसाना

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पहले निगम बोर्ड में लागू किया व्यवसायिक कर, अब निगम झाड़ रहा पल्ला
-व्यवसायिक कर वसूली के लिए वर्ष 2019 में बार्ड बैठक में लाया गया था प्रस्ताव
– आपत्तियों को निरस्त करने के बाद निगम ने शासन को भेजा था कर लागू करने का खाका
पूर्व में भी निगम ने व्यापारियों को जारी किया था कर जमा करने का नोटिस
– विधानसभा चुनाव आचार संहिता लागू होने से तीन दिन पहले बोर्ड ने रोकने का प्रस्ताव किया था पास, सरकार ने मानने से किया इंकार
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार: वर्तमान में कोटद्वार शहर में व्यवसायिक कर का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। भाजपा व कांग्रेस एक दूसरे पर व्यवसायिक कर थोपने का आरोप लगा रहे हैं। ऐसे में राजनीति का मुद्दा बन रहे व्यवसायिक कर की सच्चाई को जानना जनता का अधिकारी है। दरअसल, वर्ष 2019 के 21 अगस्त को नगर निगम स्वयं व्यवसायिक कर का प्रस्ताव बोर्ड बैठक में लेकर आया थी। पूरी तैयारियों के साथ व्यवसायिक कर का खाका तैयार कर नगर निगम ने इसे लागू करने के लिए बोर्ड ने जनता से आपत्तियां प्राप्त करने के लिए समाचार पत्र में विज्ञप्ति का प्रकाशन करते हुए बोर्ड कार्यालय के नोटिस बोर्ड व तहसील नोटिस बोर्ड पर विज्ञाप्ति चस्पा की थी। इसके उपरांत केवल पांच आपत्तियां निगम में दर्ज की गई, जिसे निगम ने बलहीन मानते हुए निरस्त कर व्यवसायिक कर का खाका गजट नोटिफिकेशन के लिए 18 जनवरी 2020 को राजकीय मुद्राणालय उत्तराखंड, रूड़की भेज दिया। जिसका प्रकाशन होने के बाद कोटद्वार नगर निगम बोर्ड द्वारा उसके प्रस्ताव संख्या पांच दिनांक 21 अगस्त 2019 व्यवसायिक कर लेने के लिए नियम बन गया। गजट नोटिफिकेशन होने के बाद निगम ने व्यवसायिक कर वसूली की पूरी तैयारी कर ली थी। बकायदा व्यापारियों को नोटिस भी थमाए गए। लेकिन, वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के चंद तीन दिन पूर्व पांच जनवरी 2022 को नगर निगम बोर्ड ने प्रस्ताव कर कोटद्वार में व्यवसायिक कर लागू न करने के लिए शासन को पत्र भेजना शुरू कर दिया। जिसे शासन ने अस्वीकार कर दिया।
21 अगस्त 2019 को हुई बोर्ड बैठक में नगर निगम ने समस्त पार्षदों के समक्ष व्यवसायिक कर लागू करने का प्रस्ताव रखा था। जिसे सर्वसहमति से पास भी किया गया। इसके उपरांत 27 नवंबर 2019 को नगर निगम की ओर से व्यवसायिक कर के संबंध में आमजन व व्यापारियों से आपत्ति मांगी गई। लेकिन, पूरे शहर से निगम को केवल पांच आपत्तियां ही प्राप्त हुई। आपत्तियों के बलहीन होने के बाद इन्हें निरस्त कर 23 दिसंबर2019 को राजकीय मुद्राणालय रूड़की को व्यवसायिक कर का गजट तैयार करने का पत्र भेजा गया। गजट तैयार करने के एवज में राजकीय मुद्राणालय रूड़की ने नगर निगम से एक लाख पिच्चासी हजार 921 रुपये का बिल बनाया था। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद नगर निगम ने तीन अक्टूबर 2020 से व्यवसायिक कर नियम लागू हो गया। इसके बाद वसूली की तैयारी शुरू कर दी थी। इसके लिए बकायदा व्यापारियों को नोटिस भी जारी किए गए। लेकिन, अगले दिन ही व्यापारी नगर निगम परिसर में पहुंचे और व्यवसायिक कर को समाप्त करने की मांग उठाने लगे। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता से चंद तीन दिन पहले हो रहे व्यापारियों के इस आंदोलन को देखते हुए नगर निगम ने आनन फानन में पांच जनवरी 2022 को बोर्ड बैठक बुलाई। जिसमें निर्णय लिया गया कि नगर निगम व्यवसायिक कर वसूली के प्रस्ताव को समाप्त करने के लिए शासन को पत्र भेजेगा। इस संबंध में नगर निगम ने दो फरवरी 2022 को शासन को पहला पत्र भेजा। लेकिन शासन की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद 18 फरवरी 2022 को दोबारा एक ओर पत्र प्रेषित हुआ। लेकिन, इसका भी कोई जवाब नही आया। कुछ माह बाद चुनाव संपन्न हुए और मई माह में शासन ने पांच जनवरी 2022 के बोर्ड की बैठक में पारित प्रस्ताव को खारिज करते हुए निगम प्रशासन को टैक्स लेने के लिए स्वतंत्र कर दिया।
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राजनैतिक रंग पकड़ रहा व्यवसायिक कर
टैक्स का मामला राजनैतिक रंग पकड़ने लगा है। भाजपाईयों का कहना है कि टैक्स की दरें कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बढ़ाई गई, जबकि कांग्रेसियों का कहना है कि निगम की बोर्ड बैठक में टैक्स के लिए जाने संबंधी आदेश को स्थगित कर दिया गया। सरकार चाहती तो पूर्व में जारी आदेश को रद्द करवा सकती थी। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ।

महापौर हेमलता नेगी ने कहा कि अभी कुछ नहीं कहूंगी
व्यवसायिक कर को लागू करने के लिए चल रहे राजनैतिक आरोप प्रत्यारोपों के बीच नगर निगम की महापौर हेमलता नेगी ने कहा कि मैं अभी अकेले में कुछ नहीं कहूंगी। जल्द ही पत्रकार वार्ता कर अपना पक्ष रखुंगी।

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