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यूएन में इजरायल संग भारत; हमास को जमकर सुनाया, प्रस्ताव पर वोटिंग से बनाई दूरी

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न्यूयार्क, एजेंसी। इजरायली सेना और हमास आतंकवादियों के बीच गाजा में मानवीय आधार पर संघर्ष विराम के लिए जॉर्डन की ओर से पेश किया गया प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित हो गया। इस प्रस्ताव का मकसद गाजा में तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान करना था। इस प्रस्ताव पर हुई वोटिंग के बाद यूएन न्यूज सेंटर ने ट्वीट कर कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मौजूदा गाजा संकट पर ‘नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी और मानवीय दायित्वों को कायम रखने’ पर प्रस्ताव अपना लिया गया है। इस प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट, विपक्ष में 14 वोट और अनुपस्थितों की संख्या 45 रही। दरअसल भारत भी उन देशों में शामिल था, जिसने इस प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन चर्चा के दौरान भारत ने खुलकर इजरायल का पक्ष लिया और आतंकवाद की जमकर आलोचना की। संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजरायल गाजा विवाद पर यह प्रस्ताव जॉर्डन ने पेश किया था। इस प्रस्ताव पर मतदान से अनुपस्थित रहने वाले 45 देशों में आइसलैंड, भारत, पनामा, लिथुआनिया और ग्रीस शामिल थे। यह प्रस्ताव इजरायल-फिलिस्तीन संकट पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के आपातकालीन विशेष सत्र के दौरान अपनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गाजा एन्क्लेव के अंदर फंसे नागरिकों के लिए जीवनरक्षक आपूर्ति और सेवाओं के निरंतर, पर्याप्त और निर्बाध पहुंच की भी मांग की। प्रस्ताव को सदन में यह बोलकर पारित किया गया कि अरब देशों द्वारा तैयार किया गया प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं है, लेकिन यह राजनीतिक महत्त्व रखता है, क्योंकि इजरायल ने 75 साल पुराने इतिहास में नागरिकों पर सबसे खराब हमास हमले के जवाब में गाजा में जमीनी कार्रवाई तेज कर दी है।
भारत ने जॉर्डन के पेश किए गए इजरायल-फिलिस्तीन प्रस्ताव पर दूरी जरूर बनाए रखी पर आतंकवाद को लेकर हमास पर जमकर निशाना साधा। भारत ने कहा कि वह इजरायल फिलिस्तीन संघर्ष को दूर करने के लिए द्वि-राष्ट्र समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप दूत योजना पटेल ने इजरायल में हुए हमास के आतंकी हमले पर दुख जताया और इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने इजरायली बंधकों की तत्काल रिहाई का आह्वान किया और गाजा में चिंताजनक मानवीय स्थिति पर भी दुख जताया। उन्होंने कहा कि भारत तनाव कम करने के प्रयासों का समर्थन करता है और फिलिस्तीन की मदद के लिए हमेशा तैयार है। जॉर्डन के इस प्रस्ताव में सात अक्तूूबर के हमास आतंकवादी हमलों का कोई विशेष उल्लेख नहीं है। जॉर्डन ड्राफ्ट प्रस्ताव को रूस, संयुक्त अरब अमीरात, पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित क्षेत्र के 40 देशों ने समर्थन दिया था। इसने इजरायल की कार्रवाई की निंदा की, लेकिन हमास के आतंकवादी हमले की नहीं। हालांकि, कनाडा के पेश किए गए संशोधन ने हमास के आतंकवादी हमले की निंदा की, लेकिन कनाडा का संशोधन संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित नहीं हो सका। वह दो-तिहाई बहुमत हासिल करने में पूरी तरह से विफल रहा। कनाडा के प्रस्तावित संशोधन इजरायल में 7 अक्टूबर को शुरू हुए हमास के हमलों और बंधकों की घटना की निंदा से जुड़ा हुआ था।

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