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मुश्किल में फिर राजद अध्यक्ष, चारा घोटाले के एक और मामले में सीबीआई कोर्ट सुनाएगी फैसला

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पटना, एजेंसी। बहुचर्चित चारा घाटाला केस के डोरंडा ट्रेजरी मामले में सीबीआई की विशेष अदालत 15 फरवरी को फैसला सुनाएगी। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद भी आरोपी हैं। कोर्ट ने फैसले के समय उन्हें कोर्ट में मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं। इसलिए इसमें हिस्सा लेने के लिए सुनवाई से दो दिन पहले रविवार को लालू पटना से रांची पहुंच गए हैं। रांची एयरपोर्ट के बाहर उनके समर्थकों का हुजूम उमड़ा हुआ था। अपने नेता के स्वागत के लिए कार्यकर्ताओं की भीड़ ढोल, नगाड़े और गाजे-बाजे के साथ पहुंची थी।
139 करोड़ का यह घोटाला डोरंडा ट्रेजरी से जुड़ा है। डोरंडा ट्रेजरी से अवैध निकासी मामले में कोर्ट ने लालू सहित 99 आरोपियों को कोर्ट में उपस्थित रहने को कहा है। लालू इसी मामले में जमानत पर अभी बाहर हैं। इस घोटाले में कई चौंकाने वाले मामले सामने आए। जिसमें पशुओं को फर्जी रूप से स्कूटर और मोटरसाइकिल पर ढ़ोने की कहानी शामिल है। मामला 1990-92 के बीच का है।
अफसरों और नेताओं ने फर्जीवाड़ा की नई कहानी ही लिख दी। फर्जीवाड़ा कर बताया गया कि 400 सांड़ को हरियाणा और दिल्ली से स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया। यानी घोटाले में जिस गाड़ी नंबर को विभाग ने पशु को लाने के लिए दर्शाया था, वे मोटसाइकिल और स्कूटर के नंबर निकले। सीबीआई ने जांच में पयाा कि कई टन पशुचारा, पीली मकई, बादाम, खल्ली, नमक आदि ढोने के लिए स्कूटर, मोटरसाइकिल और मोपेड का नंबर दिया गया था।
जांच में सामने आया कि 1990-92 के दौरान 2 लाख 35 हजार में 50 सांड़, 14 लाख 4 हजार से अधिक में 163 सांड़ और 65 बछिया खरीदा गया। वहीं क्रसब्रिड की बछिया और भैंस की खरीद का करीब 84 लाख का भुगतान मुर्रा लाइव स्टक दिल्ली के प्रोपराइटर विजय मल्लिक ने की थी। इस घोटाले में हिंदुस्तान लाइव स्टक एजेंसी के आपूर्तिकर्ता संदीप मल्लिक पर भी भेड़ और बकरी के लिए 27 लाख 48 हजार रुपए भुगतान करने का आरोप है।
देश में चारा घोटाला के सामने आते ही तहलका मच गया था। 27 जनवरी को चाईबासा ट्रेजरी से गलत तरीके से 37़6 करोड़ रुपये निकाले जाने का भांडा फूटा। 11 मार्च को हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। जिसके बाद सीबीआई जांच बिठाई गई। 27 जुलाई को सीबीआई ने लालू यादव के खिलाफ सबूत जुटाने शुरू किए। 30 जुलाई को लालू यादव ने अदालत के सामने सरेंडर कर दिया।
सीबीआई ने जांच में कहा था कि ये व्यापक षड्यंत्र का मामला है। इसमें राज्य के नेता, कर्मचारी और व्यापारी सब भागीदार थे। इस मामले में बिहार के एक और पूर्व मुख्यमंत्री ड. जगन्नाथ मिश्र समेत राज्य के कई मंत्री गिरफ्तार किए गए थे।
1998 में लालू और राबड़ी देवी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया। 9 जून 2000 को कोर्ट में लालू यादव के खिलाफ आरोप साबित हो गए। अक्तूबर में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद मामले को नए राज्य में ट्रांसफर कर दिया। 2006 में लालू और राबड़ी को आय से अधिक संपत्ति मामले में क्लीन चिट मिल गया था।
17 मई 2012 को केस में नया मोड़ आ गया। सीबीआई कोर्ट में आरजेडी सुप्रीमो पर दिसंबर 1995 और जनवरी 1996 के बीच दुमका ट्रेजरी से 3़13 करोड़ रुपए का मामला साबित हो गया। 30 सितंबर 2013 को चारा घोटाला मामले में कोर्ट ने लालू यादव को दोषी माना। लालू दुमका ट्रेजरी मामले में सजा होने के बाद जेल गए। वे 17 अप्रैल 2021 को जमानत पर बाहर आए।

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