भूस्खलन का बढ़ रहा खतरा, समिति ने उठाई विस्थापन की मांग

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : लाख शिकायत के बाद भी सरकारी सिस्टम दुगड्डा ब्लॉक के घाड़ क्षेत्र के ग्राम पुलिंडा वासियों के विस्थापन की सुध नहीं ले रहा। नतीजा लगातार बढ़ रहे भूस्खलन के कारण ग्रामीण पलायन को मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में विस्थापन एवं पुनर्वास संघर्ष समिति ने सरकार से दोबारा उनके विस्थापन की सुध लेने की मांग की है। कहा कि ग्रामीणों की अनदेखी किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
वर्ष 1978 से भूस्खलन से प्रभावित दुगड्डा ब्लॉक के घाड़ क्षेत्र के पुलिंडा गांव के 128 परिवारों का विस्थापन अभी तक नहीं हो पाया है, जिससे ग्रामीणों में शासन-प्रशासन के खिलाफ रोष है। पुलिंडा विस्थापन एवं पुनर्वास समिति के अध्यक्ष केएस नेगी की ओर से मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में कहा कि दुगड्डा ब्लॉक के घाड क्षेत्र के अंतर्गत पुलिंडा गांव में 1978 से लगातार भूस्खलन हो रहा है। स्थिति यह है कि गांव में हो रहे भूस्खलन से कई घरों में दरारें पड़ चुकी हैं। ग्रामीण शासन-प्रशासन से लगातार उनके पुनर्वास की मांग कर चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है। कहा कि गांव के विस्थापन और पुनर्वास के लिए कई बार प्रस्ताव भेजे गए हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों का कहना है कि 24 अगस्त, 2015 के शासनादेश में जनपद में स्थित संवेदनशील गांवों को तीन श्रेणियों में बांटकर चरणबद्ध तरीके से ग्रामीणों के पुनर्वास के प्रस्ताव शासन को भेजने के निर्देश दिए गए थे। भूतत्व एवं खनिकर्म इकाई उद्योग निदेशालय उत्तराखंड ने गांव पहुंचकर भूगर्भीय सर्वेक्षण किया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि भूस्खलन धीरे-धीरे आबादी की ओर विस्तार ले रहा है। भूस्खलन प्रभावित स्थल के नीचे की चट्टानें अत्यधिक कमजोर होने के कारण सुगमता से स्क्रैच हो रही हैं। रिपोर्ट में संपूर्ण ग्रामीणों को किसी सुरक्षित स्थल पर विस्थापित किए जाने की संस्तुति की गई है। लेकिन, अब तक इस पर गंभीरता नहीं दिखाई गई। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन ने जल्द उनके पुनर्वास की मांग उठाई।

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