नई दिल्ली, एजेंसी। भारत ने श्रीलंका के बीच लंबे समय से चले आ रहे बौद्ध संबंधों को मजबूत करने के लिए श्रीलंका को 1.5 करोड़ (15 मिलियन) डॉलर का ‘ऐतिहासिक’ अनुदान देने का एलान किया है। श्रीलंका की तीन दिवसीय यात्रा के दौरान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में कोलंबो के राष्ट्रपति भवन में गुरुवार को अनुदान पर द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। अधिकारियों ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी।
श्रीलंका के राष्ट्रपति के मीडिया प्रभाग ने एक बयान में कहा कि 1.5 करोड़ डॉलर के अनुदान के तहत शुरू की जाने वाली पहली परियोजना पूरे श्रीलंका में धार्मिक स्थलों का सौर विद्युतीकरण है। बयान में कहा गया है कि इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) को भारत और श्रीलंका की सरकारों ने संयुक्त रूप से अंतिम रूप दिया।
बयान में कहा गया है कि 1.5 करोड़ डॉलर के ऐतिहासिक अनुदान ने भारत और श्रीलंका के बीच बौद्ध संबंधों को मजबूत किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भारतीय मूल के तमिलों के श्रीलंका आगमन की 200वीं वर्षगांठ मनाने के लिए गुरुवार को श्रीलंका सरकार द्वारा आयोजित ‘एनएएएम 200’ में विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लेने के लिए श्रीलंका में थीं।
बयान में कहा गया है, “यह अनुदान विशेष रूप से भारत और श्रीलंका के बीच लंबे समय से चले आ रहे बौद्ध संबंधों को मजबूत करने के लिए आवंटित किया गया है, जो दोनों देशों को एक साथ बांधने वाले गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को रेखांकित करता है।” बयान के अनुसार द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर कार्यक्रम के दौरान विक्रमसिंघे और सीतारमन ने ”लंबी द्विपक्षीय चर्चा” की।
राष्ट्रपति के मीडिया प्रभाग ने कहा कि यह निधि बौद्ध मठों के निर्माण और नवीनीकरण, क्षमता विकास, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, पुरातात्विक सहयोग, अवशेषों की पारस्परिक प्रदर्शनी और पारस्परिक हित के अन्य क्षेत्रों सहित विभिन्न पहलों के लिए आवंटित की जाएगी।