नारद की तपस्या भंग करने को इंद्र ने भेजा कामदेव
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : दुगड्डा में रामलीला का शुभारंभ हो गया है। पहले दिन नारद मोह का मचन किया गया। इस दौरान रामलीला में दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ी हुई थी।
रामलीला का शुभारंभ प. राजेंद्र पसाद नौटियाल ने वैदिक मंत्रोच्चारण से किया। इसके उपरांत नारद भगवान हरि नाम का गुणगान करते हुए हिमालय की गुफा में चले जाते हैं। गुफा में जाकर नारद भगवान ध्यान में बैठ जाते हैं। जहां उनकी समाधि लग जाती है। समाधि लगने से इंद्र का सिंहासन हिल जाता है। नारद की तपस्या भंग करने के लिए इंद्र भगवान कामदेव को भेजते हैं, लेकिन कामदेव भगवान नारद की तपस्या को भंग करने में विफल हो जाते हैं। इसके पश्चात कामदेव उनसे क्षमा मांगते हैं। कामदेव को क्षमा करने के पश्चात भगवान नारद में अभिमान आ जाता है। वह अपने अभिमान में आकर अपनी प्रशंसा विष्णु भगवान के सामने करने लगते हैं। नारद का अभिमान तोड़ने के लिए भगवान अपनी माया से एक सुंदर कन्या को प्रकट कर नारद के समक्ष भेजते हैं। जिसको देखकर नारद भगवान मोहित हो जाते हैं। उससे विवाह करने के लिए आग्रह करते हैं। विवाह करने से पूर्व नारद भगवान विष्णु भगवान से आग्रह करते हैं कि वह उन्हें एक सुंदर रूप प्रदान करें। भगवान विष्णु नारद जी को बंदर का रूप दे देते हैं। जब नारद को पता चलता है तो नारद भगवान को श्राप दे देते हैं । इसके पश्चात भगवान विष्णु नारद के अभिमान को तोड़ते हैं। नारद जी भगवान से अपने अपराध के लिए क्षमा मांगते हैं। भगवान विष्णु उन्हें क्षमा कर देते हैं। इस मौके पर पूर्व प्रधानाचार्य राम प्रसाद बड़ोला, रामअवतार गर्ग, प्रदीप बड़ोला, राहुल जैन, संजीव कोटनाला, वीरेंंद्र शाह, अमजन जैन, पुष्कर रावत, सुनील कुमार, संदीप नेगी आदि मौजूद रहे।