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बड़े हमले से पहले छोटी-छोटी घुसपैठ, हमास को मिटाने के लिए ऐसे गुरिल्ला युद्ध कर रहा इस्राइल

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नई दिल्ली , एजेंसी। इस्राइल और हमास के बीच जारी लड़ाई को अब तीन हफ्ते बीत चुके हैं। इस बीच गाजा पट्टी में छिपे हमास के लड़ाकों को मारने के लिए इस्राइल की सेना ने जमीनी अभियान शुरू कर दिया है। यह कार्रवाई शुरू करने से पहले इस्राइल ने गुरिल्ला तकनीक का इस्तेमाल किया। इस रणनीति का उपयोग दशकों से होता रहा है। अब हमास के खिलाफ लड़ाई गुरिल्ला तकनीक फिर से चर्चा में आ गई है।
7 अक्तूबर को हमास ने हमला कर इस्राइल को गहरा घात दिया। तब से इस्राइल ने गाजा पट्टी में मौजूद हमास के ठिकानों को नस्तनाबूत करने के लिए कई हवाई हमले किए। इसके साथ ही इस्राइल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने गाजा में जमीनी हमले की योजना बनाई। शुरुआत में आईडीएफ अपने प्रयास में सफल नहीं हुई और उसे जमीनी अभियान की कार्रवाई टालनी पड़ी। हालांकि, पिछले कुछ दिनों में आईडीएफ ने हर बार पीछे हटने से पहले गाजा में तीन लक्षित और छोटी घुसपैठ शुरू की। इस्राइल की प्रख्यात नौसेना इकाई शायेटेट के 13 नौसैनिक कमांडो ने जमीन के रास्ते दो घुसपैठें कीं। वहीं एक बार समुद्र के रास्ते घुसपैठ की गई।
इस्राइली मीडिया रिपोर्ट की मानें, तो प्रत्येक घुसपैठ के जरिए सीमित संख्या में हमास के बुनियादी ढांचों को नष्ट किया गया। इसके जरिए इस्राइली सेना ने हवाई हमलों ने कहीं अधिक क्षति पहुंचाई है, इसलिए प्रभाव काफी सीमित था।
शुरुआत में उम्मीदें गाजा में अब तक के सबसे बड़े जमीनी हमले की लगाई गई थीं जिसके लिए 3,60,000 रिजर्व सैनिक बुलाए गए थे। हालांकि, इस्राइली सेना द्वारा जो कुछ किया गया है वह अभी भी 2014 में गाजा में किए गए जमीनी आक्रमण के स्तर तक नहीं पहुंचा है।
जब इस्राइल बार-बार जमीनी हमले में देरी कर रहा था तो सबके मन में कई सवाल थे। सवाल थे कि क्या अब तक आक्रमण में देरी करना सही कदम था। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रक्रिया दो सप्ताह पहले ही शुरू हो गई थी, लेकिन एक या दो दिन बाद ही पता चला कि उस समय गाजा में घुसपैठ की सूचना दी गई थी। योजना थी कि लड़ाई में वास्तव में हमास को शामिल नहीं किया जाए। घटनाक्रमों की शृंखला से स्पष्ट होता है आईडीएफ हमास पर गुरिल्ला युद्ध रणनीति अपना रहा है।
इस समय गाजा शहर में खुद को बचाए रखने के लिए हमास जिन तरीकों का इस्तेमाल कर रहा है वो घात लगाकर किए जाने वाले हमले, सुरक्षित दिखने वाली चीजों पर विस्फोट करना और हिट-एंड-रन शामिल है। इन तरीकों के जरिए हमास इस्राइल के हवाई और अन्य तकनीकी लाभों को बेअसर करना चाहता है।
वहीं, गुरिल्ला युद्ध की बात करें तो यह लगभग युद्ध जितना ही पुराना है। परंपरागत रूप से इसका इस्तेमाल छोटे या कमजोर पक्ष द्वारा बड़े या कम सक्रिय पक्ष को रोकने के लिए किया जाता था। चूंकि हमास ने इस्राइल के खिलाफ शहरी इलाकों में मानव ढाल का उपयोग करना शुरू कर दिया है। लिहाजा इस्राइल को भी समझ आया है कि बड़ी और अधिक शक्तिशाली सेना होने का मतलब तकनीक में आश्चर्य के तत्व को छोड़ना नहीं है। सीधे शब्दों में कहें तो, गाजा में मौजूद हमास के लड़ाकों को नहीं पता कि आईडीएफ आगे कहां से छलांग लगा सकती है।

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