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वन अनुसंधान केंद्र लालकुआं में लगाई गई जावा घास,

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नैनीताल। लालकुआं वन अनुसंधान केंद्र में बहु उपयोगी सुगंधित सिट्रोनेला जावा घास की प्रदर्शनी क्यारी बनाई गई है। मच्छरों के दुश्मन के रूप में जाने जाने वाली इस घास के कई औषधीय गुण है। जनता को इसकी उपयोगिता बताने के लिए वन अनुसंधान केंद्र लालकुआं में इस घास की क्यारी बनाई गई है। वन अनुसंधान केंद्र के वन क्षेत्राधिकारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि जावा घास से जो तेल निकलता है, वह मच्छर एवं अन्य कीड़ों को भगाने में काफी कारगर है। इसका मच्छर भगाने के लिए बनाए जाने वाले तेल व अन्य पदार्थो में भी प्रयोग किया जाता है। इसके लिए साबुन, हैंडवास, धूप, अगरबत्ती, फिनायल समेत कई सौंदर्य प्रसाधन में भी इस घास से निर्मित तेल का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस घास को लगाकर किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जो भी किसान जावा घास की खेती वॉइस के उपयोग के बारे में जानकारी लेना चाहता है वह वन अनुसंधान केंद्र में आकर इसकी जानकारी ले सकता है।
सिट्रोनेला का औषधीय उपयोग
वन क्षेत्राधिकारी मदन बिष्ट ने बताया कि जावा से निकलने वाले तेल का उपयोग साबुन, इत्र, प्रसाधन सामग्री और भोजन स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। यह पौधा बुखार, गाठियावात, मामूली सक्रंमण, पेट और मासिक धर्म संबंधी समस्याओं के उपचार में उपयोगी है। इसके तेल का उपयोग कीट निरोधक के रूप में भी किया जाता है।अनिद्रा के उपचार में भी इसका प्रयोग किया जाता है 7

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