केयर्न टैक्स मामले में अपील की तैयारी में सरकार
नई दिल्ली, प्एजेंसी। केंद्र सरकार केयर्न (ब्ंपतद) टैक्स विवाद मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ अपील की तैयारी कर रही है। सूत्रों ने अनुसार सरकार मानती है कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण के पास किसी राष्ट्र के संप्रभु कराधान नियमों पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं है। सूत्रों ने कहा कि सरकार केयर्न एनर्जी द्वारा इस मामले में अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय अदालतों में दायर मुकदमों के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ेगी। सरकार का स्पष्ट मानना है कि केयर्न के साथ किसी भी विवाद का समाधान देश के ही कर कानूनों के तहत होगा।
इस सप्ताह गुरुवार को केयर्न एनर्जी पीएलसी के सीईओ साइमन थमसन ने वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय से मुलाकात की थी। केयर्न का कहना था कि इस मुलाकात का मकसद भारत सरकार से यह आग्रह करना था कि वह केयर्न को जल्द से जल्द रकम का भुगतान कर दे। सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात में भी मामले में सरकार द्वारा अपील करने पर चर्चा नहीं हुई। लेकिन घटनाक्रम से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि मुलाकात के बाद सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले को चुनौती देने का मन बनाया है।
केयर्न एनर्जी ने सूचीबद्घ होने से पहले वर्ष 2006-07 में अपने भारतीय कारोबार का पुनर्गठन किया था। सरकार के मुताबिक इससे कंपनी को कथित तौर पर पूंजीगत लाभ हुआ। सरकार ने पूर्ववर्ती समय से टैक्स मांगने संबंधी एक नियम का उपयोग करते हुए केयर्न से इस लाभ के एवज में 10,247 करोड़ रुपये मांगे थे। इसे नहीं चुकाने पर आयकर विभाग ने केयर्न इंडिया में 10 फीसद हिस्सेदारी जब्त कर ली।
केयर्न ने इस फैसले को एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने चुनौती दी। न्यायाधिकरण ने केयर्न के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि भारत सरकार का आदेश ब्रिटेन-भारत द्विपक्षीय निवेश संधि, 2014 के नियमों के खिलाफ है और सरकार केयर्न को 1़4 अरब डलर वापस करे। उसके बाद कंपनी ने पिछले महीने भारत सरकार को लिखा था कि अगर सरकार इस रकम के भुगतान में विफल रहती है तो कंपनी भारत की विदेश-स्थित संपत्तियां जब्त करने को मजबूर हो सकती है।