Uncategorized

केदारघाटी में पांडव लीला शुरू

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

रुद्रप्रयाग। धार्मिक दृष्टि से रुद्रप्रयाग जिले का विशेष महत्व है। पंच केदारों में से तीन केदारनाथ होने के साथ ही यहां एक प्रयाग भी है। जबकि, अनेक सिद्धपीठ एवं शक्तिपीठ विराजमान हैं। यही कारण है कि यहां सालभर भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। रुद्रप्रयाग जनपद की एक विशेष पहचान और भी है। जिले की केदारघाटी के गांव-गांव में सर्दियों के मौसम में होने वाली पांडव लीलाएं और पांडव नृत्य अपनी ओर हर किसी को आकर्षित करता है। इन दिनों भी जगह-जगह पांडव नृत्य की धूम है। मान्यता है कि स्वर्गारोहणी जाने से पूर्व पांडव केदारघाटी में आए थे, और पांडवों ने अपने अस्त्र-शस्त्रों को केदारघाटी के लोगों को पूजा के लिए सौंप दिया था। पूर्व से लेकर अब तक पौराणिक परंपराओं के अनुसार केदारघाटी के अनेक गांवों में नवंबर से दिसंबर महीने में पांडव लीला एवं नृत्य का आयोजन किया जाता है। लगभग एक महीने तक चलने वाली लीलाओं में महाभारत की कथाओं का सम्पूर्ण वर्णन किया जाता है। जगह-जगह चक्रव्यूह का भी आयोजन होता है। केदारघाटी में पांडव नृत्य को त्यौहार की तरह मनाया जाता है। पांडव नृत्य में सभी ग्रामीणों की सहभागिता जरूरी होती है। पांडव नृत्य में युधिष्ठर, अर्जुन, श्रीकृष्ण, कुंती, वीर हनुमान, भीम, नुकुल, सहदेव, दौपद्री आदि नरों पर अवतरित होकर आशीष देते हैं, और अपने बाणों के साथ नृत्य करते हैं। एक महीने तक चलने वाला यह नृत्य दिन और रात के समय किया जाता है। स्थानीय वाद्य यंत्र ढोल और दमाऊं की थापों पर पांडव नृत्य करते हैं। पांडवों के साथ ग्रामीण भी नृत्य करते हैं। जिला मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायत दरमोला के तरवाड़ी भरदार में चल रहा पांडव नृत्य अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है। यहां इन दिनों अस्त्र-शस्त्रों के साथ पांडव नृत्य कर रहे हैं। जबकि, 17 दिसंबर को गैंडा कौथिग के साथ 18 दिसंबर को पांडव नृत्य का समापन होगा। वहीं, इससे पूर्व विकासखंड जखोली के जखोली गांव में पांडव नृत्य एवं लीलाओं का भव्य आयोजन किया गया। जबकि, इन दिनों जखोली के उछना सहित अन्य गांवों में भी पांडव नृत्य एवं लीलाओं का आयोजन जारी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!