छह साल पुराने मामले में केजरीवाल को कोर्ट से झटका, मानहानि के मामले को रद्द करने से इनकार
नई दिल्ली, एजेंसी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने यूट्यूबर ध्रुव राठी द्वारा बनाए गए ‘बीजेपी आईटी सेल पार्ट 2’ शीर्षक वाले वीडियो को री-ट्वीट करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने मामले में अरविंद केजरीवाल को तलब करने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि केजरीवाल के एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर महत्वपूर्ण फॉलोअर्स हैं और वह वीडियो को रीट्वीट करने के नतीजों को समझते है। कोर्ट ने कहा अपमानजनक सामग्री को रीट्वीट करना मानहानि के समान है। यह मामला विकास सांकृत्यायन उर्फ विकास पांडे द्वारा दायर किया गया था, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थक होने का दावा करता है और सोशल मीडिया पेज ‘आई सपोर्ट नरेंद्र मोदी’ का संस्थापक है।
अपने वीडियो में ध्रुव राठी ने कहा था कि पांडे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) आईटी सेल के दूसरे नंबर के नेता हैं और पांडे ने एक बिचौलिए के माध्यम से महावीर प्रसाद नामक व्यक्ति को अपने आरोपों को वापस लेने के लिए 50 लाख की पेशकश की थी कि सत्तारूढ़ पार्टी की आईटी सेल झूठ और फर्जी खबरें फैलाता है।
प्रसाद ने राठी के साथ एक साक्षात्कार में ये आरोप लगाए थे। यह इंटरव्यू राठी ने अपने यूट्यूब चैनल पर 10 मार्च, 2018 को ‘बीजेपी आईटी सेल इनसाइडर इंटरव्यू’ शीर्षक के तहत अपलोड किया था।
सात मई, 2018 को राठी ने बीजेपी आईटी सेल पार्ट 2 शीर्षक से वीडियो अपलोड किया और आरोप लगाया कि प्रसाद को पैसे की पेशकश की गई थी। इस वीडियो को केरजीवाल ने रीट्वीट किया था।
पांडे के मामले में केजरीवाल ने सात मई, 2018 को उस वीडियो को रीट्वीट किया था जिसमें उनके खिलाफ झूठे और मानहानिकारक आरोप थे।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल को करोड़ों लोग फॉलो करते हैं और आरोपों की प्रामाणिकता की जांच किए बिना वीडियो को रीट्वीट करके दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी संख्या में दर्शकों के लिए उपलब्ध कराया है। केजरीवाल को 17 जुलाई, 2019 को अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा समन जारी किया गया था।
उन्होंने आदेश के खिलाफ सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया लेकिन अदालत ने समन रद्द करने से इनकार कर दिया। इसके बाद केरजीवाल ने मजिस्ट्रेट और सत्र न्यायालय दोनों के आदेशों को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने पांडे द्वारा दायर आपराधिक शिकायत (मानहानि का मामला) को रद्द करने की भी मांग की।
आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा कि पांडे ने कथित रूप से अपमानजनक प्रकाशन के मूल लेखक (ध्रुव राठी) और अन्य लोगों पर मुकदमा नहीं चलाया, जिन्होंने वीडियो को री-ट्वीट, लाइक और टिप्पणी भी की थी। इसके बजाय, उन्होंने केवल केजरीवाल के खिलाफ कदम उठाया है जो पांडे की दुर्भावना को दर्शाता है।
उनके वकील ने दलील दी कि यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि केजरीवाल ने पांडे की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से वीडियो को रीट्वीट किया था और इसलिए मानहानि का कोई मामला नहीं बनता है।