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किसानों का अदरक और हल्दी की खेती की तरफ बढ़ा रूझान

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पंकज पसबोला। 
कोटद्वार।
बंदरों और अन्य जंगली जानवरों से परेशान किसानों का अब अपने खेतों में हल्दी और अदरक की की ओर रूझान बढ़ रहा है। हल्दी और अदरक की फसल कम लागत में अधिक आय देने वाली होने के कारण किसान अब इन फसलों को उगाने की ओर प्रेरित हो रहे है।
उद्यान विभाग कोटद्वार में यमकेश्वर, द्वारीखाल, बीरोंखाल, रिखणीखाल, पोखड़ा, दुगड्डा, जयरीखाल और नैनीडांडा ब्लॉक शामिल है। इन ब्लॉकों में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने और योजनाओं को धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी भी उद्यान विभाग कोटद्वार की है। उद्यान विभाग कोटद्वार के प्रयास से ही काश्तकार अदरक और हल्दी को आय का जरिया बना रहे है। इन ब्लॉकों में जंगली जानवरों से फसल की सुरक्षा करना एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में जंगली जानवरों से फसल नुकसान से छुटकारा पाने के लिए हल्दी व अदरक की खेती कारगर साबित हो रही है। इस फसल को जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते है। इन ब्लॉकों में खेती से काश्तकारों का मोहभंग होने के कारण अब हल्दी व अदरक को आर्थिकी का जरिया बनाने की कवायद चल रही है। काश्तकार संदीप नेगी ने बताया कि जंगली जानवर जिसमें खासकर बंदर, लंगूर व सूअर काश्तकारों की मेहनत से उगाई गई फसल पर ऐन समय पर पानी फेर देते हैं, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए जंगली जानवरों से फसल सुरक्षा के लिए हल्दी व अदरक की खेती बेहतर विकल्प है। इन फसलों की विशेषता यह है कि एक तो इनको जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं दूसरा इनका उत्पादन काश्तकार छायादार स्थानों पर भी आसानी से कर सकते हैं।
उद्यान विभाग कोटद्वार के ज्येष्ठ उद्यान निरीक्षक भारत सिंह नेगी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2021 में करीब 283 कुंटल अदरक और 390.80 कुंटल हल्दी का बीज यमकेश्वर, द्वारीखाल, बीरोंखाल, रिखणीखाल, पोखड़ा, दुगड्डा, जयरीखाल और नैनीडांडा ब्लॉक के किसानों ने खरीदा है। जबकि वर्ष 2020 में 186.60 कुंटल अदरक और 80 कुंटल हल्दी का बीज किसानों ने खरीदा था। उन्होंने बताया कि अभी भी लोगों की अदरक के बीज की डिमांड आ रही है। लोगों की अदरक की खेती में रूचि को देखते हुए 128 कुंटल अदरक के बीज की डिमांड भेजी गई है।

अधिक सिंचाई की भी नहीं आवश्यकता
उद्यान विभाग कोटद्वार के ज्येष्ठ उद्यान निरीक्षक भारत सिंह नेगी ने बताया कि हल्दी व अदरक की खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी फसल में अन्य फसलों की तुलना में कीट रोग तथा जंगली जानवरों का प्रकोप बहुत ही कम अथवा नहीं के बराबर होता है। इस फसल में समसामयिक बारिश नहीं होने से अधिक सिंचाई की भी आवश्यकता नहीं होती है। इस तरह से पहाड़ भी पर हल्दी व अदरक की खेती काश्तकारों की आर्थिकी को मजबूत करने में काफी लाभकारी है। हल्दी दैनिक उपयोग में काम आने के साथ ही इसका औषधीय महत्व भी है। आकस्मिक चोट लगने, कफ, वात व पित्त संबंधी विकारों के निवारण में भी यह बेहद लाभकारी है। हर मांगलिक कार्य में भी इसका उपयोग किया जाता है। वहीं अदरक का सर्दी, जुकाम के साथ ही खांसी में उपयोग किया जाता है।

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