कोटद्वार की नदियों में खनन: बिना बिना धर्मकांटे का हो रहा तोल, काटे जा रहे हैं रमन्ने
निदेशक भूतल एवं खनिकर्म इकाई को भेजा शिकायत पत्र
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। समाजसेवी कमलेश कोटनाला ने कोटद्वार भाबर की नदियों और गधेरों में हो रहे रिवर चैनलाजेशन पर सवाल
उठाते हुए कहा कि बिना तोल के रमन्ना काटे जा रहे है। उन्होंंने आरोप लगाते हुए कहा कि मानकों की अनदेखी कर
रिवर टे्रनिंग के पट्टे संचालकों को दिये गये है। उन्होंने निदेशक भूतल एवं खनिकर्म इकाई को शिकायत पत्र भेजकर
पट्टा संचालकों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने मांग की है।
कमलेश कोटनाला ने कहा कि वर्तमान समय में मार्च 2020 में चार व जून 2020 में तीन रिवर ट्रेनिंग के तहत
खोह, सुखरो व सिगड्डी स्रोत में उपखनिज 1.5 मीटर चुगान की अनुमति दी गई थी। जिसका ई रमन्ना बिना किसी
तोल के काटा जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि आज तक भी खोह और सुखरो नदी में कोई भी धर्मकाटा
नहीं लगाया गया है। जबकि रिवर टे्रनिंग का समय भी पूरा होने वाला है। विभाग की लापरवाही के कारण वर्तमान
समय में खोह, सुखरो नदी को 15 से 20 मीटर गहरा खोदा गया है। कई बार स्थानीय प्रशासन को अवगत कराने के
बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में वन विकास निगम मालन नदी में खनन
कार्य पिछले कुछ वर्षों से कर रहा है, लेकिन वहां 15 से 20 वाहन ही प्रतिदिन निकासी कर रहे है और वर्तमान समय में
समस्त रिवर टे्रनिंग के लागत से भी सस्ता है।
श्री कोटनाला ने कहा कि नदी तल से मैदानी क्षेत्र में 300 मीटर की दूरी होनी चाहिए, ये उत्तराखण्ड नियमावली
2017 में प्रदर्शित है। वर्तमान में मालन व सुखरो नदी से लगे हुए जितने भी भण्डारण स्वीकृत किये गये है, उनमें
किसी की भी दूरी 300 मीटर नहीं है। उन्होंने विभाग पर मानकों की अनदेखी कर संचालकों को पट्टा देने का आरोप
लगाया है। विभाग की लापरवाही के कारण ही मालन, सुखरो और खोह नदी में अवैध भण्डारण जोरों पर चल रहा है।
उन्होंने निदेशक भूतल एवं खनिकर्म इकाई को शिकायत पत्र भेजकर उपरोक्त नदी तल से 300 मीटर की दूरी की जांच
पुन: कराने, पूर्व में जिन अधिकारियों के द्वारा जांच की गई है अगर उसमें त्रुटि पाई जाती है तो संबंधित अधिकारियों को
बर्खास्त करने, उपरोक्त मानकों की अनदेखी वाले भण्डारणों को तुरन्त निरस्त करने की मांग की है। साथ ही भविष्य में
उत्तराखण्ड सरकार के मानक पूर्ण न होने पर आवेदन निरस्त करने की मांग की है।