कोटद्वार-पौड़ी

कोटद्वार मेें आसमान छू रहे सब्जियों के दाम

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। नगर के होटल, रेस्टोरेंट बंद होने से इस बार पर्यटन सीजन में लोगों को सब्जी सस्ती दरों पर मिली। जिससे प्रतिकूल परिस्थितियों में लोगों को परेशानी
नहीं हुई। लेकिन इन दिनों सब्जियों के दाम दोगुने से लेकर पांच गुने तक बढ़ गए हैं। ग्राहक सब्जी के दाम पूछकर या तो खरीदने से तौबा कर रहे हैं, या फिर दो
किलो की बजाय आधा किलो ही खरीद रहे है। पहले ही लॉकडाउन के चलते लोगों के काम धंधे नहीं चल रहे हैं ऊपर से बढ़े सब्जियों के दाम लोगों को खटकने लगे
हैं। टमाटर 50 से 60 रुपए किलो तक पहुंच गया है। इसके साथ ही शिमला मिर्च और आलू के दाम भी बढ़ गये है।
बता दें ग्रीष्म सीजन में नगर में सब्जियों के दाम आसमान पहुंच जाते हैं। मई-जून माह में पर्यटन सीजन में पर्यटकों की आवक और शादी समारोह आदि के चलते
होटल, रेस्टोरेंट, वेडिंग प्वाइंट आदि में सब्जियों की मांग होती है। जिसके चलते लोगों को सब्जियां महंगे दामों में ही मिल पाती है, लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी
को फैलने से रोकने के लिए लगाये गये लॉकडाउन के कारण होटल, रेस्टोरेंट, वेडिंग प्वाइंट बंद ही रहे, जिस कारण बाजार में सब्जियां आसानी से उचित मूल्य पर
मिलती रही। लेकिन इन दिनों सब्जियों के दामों में खासा उछाल आ गया है। स्थानीय निवासी संतोष, पुष्कर, कविता ने कहा कि वे एक धड़ी आलू-प्याज की जगह
किलो अथवा दो किलो जबकि अन्य सब्जियों को तो आधा किलो ले रहे हैं। सब्जियों के दाम बढ़ने की वजह से रसोई का बजट भी बढ़ गया है। पहले ही लॉकडाउन
के कारण आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और अब सब्जियों की बढ़ती कीमतों से परेशानी को और अधिक बढ़ा दिया है। गृहणी रेखा ने बताया कि लॉकडाउन के कारण
काम ठप पड़ा है। अभी भी काम खुलने की उम्मीद नहीं है। अभी तक सब्जियां सस्ती होने से जैसे-तैसे परिवार का भरण पोषण कर रहे थे, लेकिन अब सब्जियां
मंहगी होने से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सब्जी विक्रेता अहसान ने बताया कि महंगी सब्जी होने पर मंडी में भी पहले की तरह सब्जी खरीदने
वालों की भीड़ कम हो गई है। वर्तमान में टममाटर 50 से 60, शिमला मिर्च 80, बैंगन 40, लौकी 30, तोरी 30 रूपये प्रति किलो बिक रहा है। वहीं आलू भी 35 से
40 रूपये किलो बिक रहा है। सब्जी महंगी होने के चलते ठेले पर सब्जी बेचने वाले कम हो गए है। जिस पर नगर में सब्जी बेचने वाले ठेलों की संख्या कम हो
गई है। नगर में आम बेचने वाले ठेलों की संख्या काफी अधिक है।

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