जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। नगर निगम कोटद्वार क्षेत्र में बंदरों के बढ़ते आतंक से स्थानीय लोग परेशान है। आए दिन बंदरों के हमले से कोई न कोई घायल हो जाता है। बंदरों के झुंड के सामने से गुजरना खतरे से खाली नहीं होता। बंदरों के खौफ के कारण लोगों ने छतों में जाना छोड़ दिया है।
नगर निगम में चालीस वार्ड है और हर वार्ड में बंदरों के बड़े-बड़े झुंड है। पैदल चलने वाले कई लोग इनके झुंड को देखकर अपना रास्ता बदल लेते हैं। स्थानीय लोगों ने कहा कि क्षेत्र में बंदरों का आंतक इतना फैल गया है कि दुकानदार भी काफी परेशान हो चुके हैं। बंदरों की वजह से हर रोज दुकानदरों को सैकड़ों रुपयों का नुकसान होता है। कई दुकानदारों ने बंदरों से सामान बचाने के लिए दुकान पर जालियां लगा ली हैं। बंदर इतने चालाक हैं कि घर के दरवाजों की कुंडी खोलकर फ्रिज में रखा सामान ले जाते हैं। इसके अलावा बंदर सुखाने रखे कपड़े ले जाते हैं। स्थानीय निवासी संदीप, देवेन्द्र, अनिल ने बताया कि अगर छत में जाना हो तो हाथ में डंडा लेना पड़ता है नहीं तो बंदर हमला कर देते हैं। बंदरों के डर से लोग बच्चों को छतों पर अकेला नहीं भेजते हैं। उन्होंने कहा कि भगाये जाने यह बंदर उल्टा वापस काटने को दौड़ रहे हैं, महिलाएं, बुजुर्ग व बच्चे इसका सबसे ज्यादा परेशान हैं। इनके आतंक से तंग आकर कई लोगों ने अपने घरों की छतों पर लोहे की सुरक्षा जाली लगवा दी है। बंदर साग-सब्जी और फल को भी बर्बाद कर रहे है। लोगों का कहना कि इस सबंध में नगर निगम प्रशासन को कई बार अवगत करा चुके हैं लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं है। लोगों ने वन विभाग से बंदरों के आतंक पर काबू पाने के लिए विशेष अभियान चलाने की मांग की है। ताकि कोटद्वार में इनके आतंक पर काबू पाया जा सके। नगर निगम कोटद्वार क्षेत्र में बंदरों के बढ़ते आतंक से स्थानीय लोग परेशान है। आए दिन बंदरों के हमले से कोई न कोई घायल हो जाता है। बंदरों के झुंड के सामने से गुजरना खतरे से खाली नहीं होता। बंदरों के खौफ के कारण लोगों ने छतों में जाना छोड़ दिया है।
नगर निगम में चालीस वार्ड है और हर वार्ड में बंदरों के बड़े-बड़े झुंड है। पैदल चलने वाले कई लोग इनके झुंड को देखकर अपना रास्ता बदल लेते हैं। स्थानीय लोगों ने कहा कि क्षेत्र में बंदरों का आंतक इतना फैल गया है कि दुकानदार भी काफी परेशान हो चुके हैं। बंदरों की वजह से हर रोज दुकानदरों को सैकड़ों रुपयों का नुकसान होता है। कई दुकानदारों ने बंदरों से सामान बचाने के लिए दुकान पर जालियां लगा ली हैं। बंदर इतने चालाक हैं कि घर के दरवाजों की कुंडी खोलकर फ्रिज में रखा सामान ले जाते हैं। इसके अलावा बंदर सुखाने रखे कपड़े ले जाते हैं। स्थानीय निवासी संदीप, देवेन्द्र, अनिल ने बताया कि अगर छत में जाना हो तो हाथ में डंडा लेना पड़ता है नहीं तो बंदर हमला कर देते हैं। बंदरों के डर से लोग बच्चों को छतों पर अकेला नहीं भेजते हैं। उन्होंने कहा कि भगाये जाने यह बंदर उल्टा वापस काटने को दौड़ रहे हैं, महिलाएं, बुजुर्ग व बच्चे इसका सबसे ज्यादा परेशान हैं। इनके आतंक से तंग आकर कई लोगों ने अपने घरों की छतों पर लोहे की सुरक्षा जाली लगवा दी है। बंदर साग-सब्जी और फल को भी बर्बाद कर रहे है। लोगों का कहना कि इस सबंध में नगर निगम प्रशासन को कई बार अवगत करा चुके हैं लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं है। लोगों ने वन विभाग से बंदरों के आतंक पर काबू पाने के लिए विशेष अभियान चलाने की मांग की है। ताकि कोटद्वार में इनके आतंक पर काबू पाया जा सके।