कोटद्वार में नगर प्रशासन ने आठ जनवरी तक रोका अतिक्रमण हटाओ अभियान
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। उत्तराखण्ड हाईकोर्ट नैनीताल के आदेश पर नगर निगम क्षेत्र के अन्तर्गत नजूल भूमि व नेशनल हाईवे से लगे फुटपाथ के अतिक्रमण को हटाने के लिए नगर निगम प्रशासन द्वारा गत 16 दिसम्बर से चालू अभियान को रोक दिया गया है।
नगर निगम आयुक्त पीएल शाह ने बताया कि उत्तराखण्ड नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के तहत कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र में स्थित नजूल भूमि व नेशनल हाईवे के फुटपाथों पर किये गये अतिक्रमण को हटाने का कार्य विगत 16 दिसम्बर से शुरू किया गया था, जिस पर कोटद्वार के कुछ अतिक्रमणकारियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की गई थी, जिस पर उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें उत्तराखण्ड हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए आठ जनवरी तक का समय देते हुए प्रशासन की अतिक्रमण हटाओ कार्यवाही को तब तक के लिए स्थगित करने के लिए कहा गया था। जिसे सभी अतिक्रमणकारियों पर लागू मानते हुए नगर निगम प्रशासन ने आगामी आठ जनवरी तक अपनी कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया है, लेकिन उन्होंने साथ में यह भी बताया कि जो लोग इस दौरान स्वयं अपने आप अपना अतिक्रमण हटायेगें उन पर कोई रोक प्रशासन की तरफ से नहीं है।
दैनिक जयन्त के 19 दिसम्बर के अंक में प्रकाशित खबर में कहा गया था कि उत्तराखण्ड हाईकोर्ट नैनीताल की उपरोक्त आदेश के खिलाफ कोटद्वार के दिलबाग सिंह व दो दर्जन से अधिक अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त करने को कहा था। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चूंकि मामला उत्तराखण्ड हाईकोर्ट नैनीताल का है, इसलिए वहीं पर वे अपनी बात रखे। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को अपनी बात रखने के लिए आठ जनवरी 2021 तक का समय निर्धारित किया था। साथ ही प्रशासन से कहा था कि वे तब तक इनके अतिक्रमण को रोक दे। चूंकि मामला दिलबाग सिंह सहित दो दर्जन से अधिक लोगों का था इसलिए उनके अतिक्रमण पर ही रोक लगी है। दैनिक जयन्त ने यह भी लिखा था कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश होने के कारण प्रशासन के ऊपर निर्भर करता था कि वह इस आदेश को याचिकाकर्ताओं के साथ-साथ अन्य पर लागू करते है या नहीं, यह उनके विवेक पर निर्भर करता है। जिस पर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को याचिकाकर्ताओं के अलावा पूरे कोटद्वार पर लागू कर दिया है। जिससे गत 19 दिसम्बर से ही प्रशासन ने अतिक्रमण के खिलाफ अपनी कार्यवाही रोक दी है।
प्रशासन की कार्यवाही रूकते ही स्वयं अपना अतिक्रमण हटाने वाले लोग भी धीरे-धीरे शांत हो रहे है और उन्होंने भी स्वयं अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही को रोक दिया है।
इस मामले में देखे सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है वह इस प्रकार है।
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