जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। जनपद पौड़ी गढ़वाल में राजाजी एवं नेशनल कॉर्बेट पार्क वाली तहसील कोटद्वार में बारिश ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये है। रविवार तड़के हुई बारिश ने जहां अन्य तहसील में अधिकतम 37 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई, वहीं कोटद्वार तहसील में रिकॉर्ड 125 एमएम बारिश बताई गई है। कोटद्वार तहसील क्षेत्र में हुई बारिश से खोह, सुखरो, मालन नदियों व ग्वालगढ़, तेली स्रोत का जल स्तर बढ़ जाने से जहां भारी भूमि कटाव होने के कारण बस्तियों में पानी घुसने की सूचना है, वहीं तहसील की ग्राम सभा जमरगडी के धरियाल सार में बादल फटने की सूचना है। जिससे गांव में जाने के लिए गदेरे पर बनी पुलिया सहित अनेक सौर ऊजाएं क्षतिग्रस्त हो गई है। गनीमत रही कि पानी खेत में मौजूद बड़े पत्थरों की वजह से दूसरी तरफ दो मकानों के बीच में डायवर्ट हो गया। अगर पानी मकानों की ओर डायवर्ट होता तो एक बड़ा हादसा हो सकता था। प्रशासन के अनुसार भारी बारिश के बावजूद जिले में कोई भू-स्खलन नहीं हुआ है। जिससे व्यवस्थाएं चाक चौबन्द है। लेकिन अलकनन्द का जल स्तर चेतावनी प्वाइंट से 1 मीटर नीचे चल रहा है।
मानसून की बारिश शुरू होते ही पौड़ी जिले से ऐसी खबरें आनी शुरू हो गई, जिनकी बारिश में आशंका होती है। कोटद्वार तहसील में मौसम की पहली ही बारिश से ही तबाही आने की खबर है। तहसील के ग्राम सभा जमरगडी के धरियाल सार में बादल फटने की सूचना है। बादल फटने से आए पानी के तेज प्रवाह और मलबे में गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली एकमात्र पुलिया बह गई है। गनीमत रही कि पानी खेत में मौजूद बड़े पत्थरों की वजह से दूसरी तरफ डायवर्ट हो गया। हैरानी की बात तो यह है कि तहसील क्षेत्र में इतनी बड़ी घटना हो गई और स्थानीय प्रशासन को घटना के पांच घंटे बाद भी जानकारी नहीं है। पांच घंटे बीत जाने के बाद भी मौके पर राजस्व विभाग का कोई अधिकारी नहीं पहुंच पाया है।
दुगड्डा ब्लॉक के ग्राम सभा जमरगडी के धरियाल सार में रविवार सुबह बादल फट गया। ग्रामीणों ने इधर-उधर भागकर बड़ी मुश्किल से जान बचाई। बादल फटने से गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली एक मात्र पुलिया भी बह गई। वहीं ग्रामीणों के खेत और पेड़ भी बह गये। कोटद्वार तहसील क्षेत्र में रविवार सुबह करीब तीन बजे से मूसलाधार बारिश शुरू हुई। जो सात बजे तक चलती रही। सुबह करीब साढ़े 6 बजे तहसील क्षेत्र के धरियालसार गांव में अचानक बादल फट गया। ग्राम प्रधान ने बताया गांव के ऊपरी हिस्से में बादल फटा और पानी और मलबा गांव के बीच में आ गया। अचानक बादल फटने से लोग दहशत में आ गये। लोगों ने इधर-उधर भागकर अपनी जान बचाई। बादल फटने से आए पानी के तेज बहाव व मलबे की चपेट में आने से जमरगडी को जोड़ने वाली पुलिया भी बह गई है। गांव का सम्पर्क अन्य स्थानों से टूट गया है। पूर्व में लगाई गई सौर ऊर्जा लाइट भी बह गई है। ग्राम प्रधान ने बताया कि राजकुमारी देवी ने मुर्गीपालन के लिए बाड़ा बनाया था वह भी बह गया है। इसके अलावा ग्रामीणों के खेत और आम, अमरूद्ध, केले के पेड़ भी बह गये है। उन्होंने बताया कि ग्राम सभा में पिछले तीन साल से बादल फटने की घटना हो रही है। प्रशासन को घटना के बारे में जानकारी दे दी गई है। नायाब तहसीलदार आरपी पंत ने बताया कि उन्हें 11 बजे घंटे की जानकारी मिली। जनकारी मिलते ही क्षेत्रीय पटवारी से सम्पर्क किया तो पता चला कि वह अवकाश पर है। इसलिए दूसरे क्षेत्र के पटवारी को मौके पर भेजा गया। है। नायाब तहसीलदार ने बताया कि घटना में किसी प्रकार के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ। अभी कुछ सोल लाइट व खेत बहने की सूचना मिल रही है। राजस्व उपनिरीक्षक की रिपोर्ट मिलने के बाद ही नुकसान के बारे में बताया जा सकता है।
गवालगढ़ गदेरा उफान पर, सतीचौड़ में बही सड़क
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। मौसम विभाग की चेतावनी सही साबित हुई। कोटद्वार तहसील क्षेत्र में मानसून की भारी बारिश ने लोगों को उमस से राहत तो दी, लेकिन सत्तीचौड-निंबूचौड़ सम्पर्क मार्ग गवालगढ़ गदेरे के बहाव में बह गई है। मूसलाधार बारिश के कारण गवालगढ़ नाले से लगे कई खेतों का कटाव भी हो गया है। वहीं स्थानीय लोगों द्वारा सूचना देने के बाद भी प्रशासन मौके पर नहीं पहुंचा है, जिससे लोगों में रोष व्याप्त है।
रविवार सुबह हुई मूसलाधार बारिश से ग्वालगढ़ गदेरा उफान पर आ गया। गदेरे में बाढ़ आने से आसपास की आवासीय बस्ती को काफी नुकसान हुआ है। गदेरे के बहाव में सत्तीचौड़ को जोड़ने वाली सड़क करीब 100 मीटर बह गई। जिस कारण स्थानीय लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पार्षद श्रीमती नेगी ने आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्व में स्थानीय प्रशासन को कई बार अवगत कराया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। चैनलाइजेशन कार्य के दौरान ग्वालगढ़ गदेरे में मशीनों से उपखनिज को उठाया गया। इस दौरान पट्टा धारकों ने मानकों की अनदेखी करते हुए गदेरे में कई फीट गहरे गड्ढे खोद दिये। स्थानीय प्रशासन की लापरवाही से पहली ही बारिश में सड़क बह गई है। उन्होंने कहा कि अभी तो बरसात की शुरूआत हुई है। आने वाले दिनों में जब गदेरे का जल स्तर बढ़ेगा तो सड़क के बहने का खतरा बना हुआ है। अगर जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों में बहुत अधिक नुकसान हो सकता है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि प्रशासन ने बाढ़ सुरक्षा के लिए गवालगढ़ नाले में जून माह में रिवर ट्रेनिंग के तहत सफाई का कार्य किया था, लेकिन पट्टा धारकों के द्वारा मानकों को ताक में रखकर नाले की सफाई करवाई गई, जिसके कारण मूसलाधार बारिश में नाले में आए पानी में सड़क बह गई। वहीं, इस सड़क के बहने से सत्तीचौड़ निवासियों का निंबूचौड से संपर्क टूट गया। जिस दौरान रिवर ट्रेनिंग का कार्य नाले में चल रहा था तब स्थानीय लोगों ने उपजिलाधिकारी से शिकायत की, लेकिन उपजिलाधिकारी ने स्थानीय निवासियों की एक ना सुनी। उन्होंने बताया कि नाले में आए पानी के कारण हमारे खेत और सड़क बह गई। ऐसे में उन्हें डर सताने लगा कि कहीं नाले में फिर से पानी आया तो उन्हें काफी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
घरों में घुसा पानी, धान की फसल को भारी नुकसान
कोटद्वार तहसील क्षेत्र में 15 दिन पहले खेत एक-एक बूंद पानी को तरस रहे थे। अब हालात यह है कि खेल जलमग्न है। कभी सूखा तो अब अतिवृष्टि से काश्तकार परेशान है। रविवार सुबह हुई मूसलाधार बारिश से तेलीस्रोत गदेरा उफनाने से रामदयालपुर, श्रीरामपुर, भूदेवपुर, दलीपपुर, शीतलपुर, अम्बेडकर नगर लोकमणिपुर में लोगों के घरों में पानी और मलबा घुस गया। वहीं गदेरे का पानी और मलबा काश्तकारों के खेत में घुस गया। जिससे धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई। काश्तकारों का कहना है कि तीन-चार दिन पहले की धान की रोपाई की थी। तेलीस्रोत गदेरे के उफनाने से सारी मेहनत पानी में बह गई। उन्होंने बताया कि खेती से ही परिवार का भरण पोषण करते हुए रविवार सुबह से ही लोग घरों से बारिश के पानी और मलबा निकालने में लगे हुए है।
कोटद्वार तहसील में हुई रिकॉर्ड बारिश
डीईओसी पौड़ी गढ़वाल की जानकारी के अनुसार रविवार 5 जुलाई को पौड़ी तहसील में 28, श्रीनगर तहसील में 19, लैंसडौन तहसील में 10, कोटद्वार तहसील में 125, धुमाकोट तहसील में 37.05, थलीसैंण तहसील में शून्य, चाकीसैंण तहसील में 7, सतपुली तहसील में 10, चैबट्टाखाल तहसील में 6 और यमकेश्वर तहसील क्षेत्र में 3.04 एमएम बारिश हुई। जबकि 3 जुलाई को लैंसडौन तहसील में 10, कोटद्वार तहसील में 17, यमेश्वर तहसील क्षेत्र में 5, पौड़ी, श्रीनगर, धुमाकोट, थलीसैंण, चाकीसैंण, सतपुली, चैबट्टाखाल तहसील क्षेत्र में बारिश नहीं हुई। वहीं 2 जुलाई को पौड़ी 6.3, श्रीनगर 1, लैंसडौन 4, कोटद्वार 36, थलीसैंण 1, चौकीसैंण 1, यमकेश्वर तहसील क्षेत्र में 1.5 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। जबकि धुमाकोट और सतपुली तहसील क्षेत्र में बारिश नहीं हुई।
एनएच पर मलबा आने से पैने घंटा ठप रहा यातायात
कोटद्वार तहसील के जमरगडी में रविवार सुबह बादल फटने से आए पानी के तेज प्रवाह और मलबे में गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली एकमात्र पुलिया बह गई है। वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग 534 पर मलबा आने यातायात करीब पौने घंटे तक बाधित रहा। इस दौरान मार्ग के दोनों ओर लंबा जाम लग गया। जिस कारण यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। रविवार सुबह जमरीगडी के पास एनएच पर बोल्डर के साथ मलबा आ गया। इससे सड़क पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई। यात्रियों ने इसकी सूचना एनएच विभाग के अधिकारियों को दी। सूचना पर मौके पर पहुंचे विभाग के अधिकारियों ने मशीनों से बोल्डर को हटाकर मार्ग वाहनों के लिए खोल दिया। मार्ग करीब पौने घंटे बंद रहा। यह राष्ट्रीय राजमार्ग गढ़वाल को कोटद्वार से जोड़ने का एकमात्र मार्ग है। इस मार्ग से प्रतिदिन हजारों लोग अपने गतंव्यों की ओर जाते है। बरसात के समय इस मार्ग पर पहाड़ी से बोल्डर आते रहते है। बरसात के समय अक्सर इस मार्ग पर बोल्डर आने से आवाजाही ठप हो जाती है। उधर, अरविंद जोशी अपर सहायक अभियंता एनएच खंड धुमाकोट ने बताया कि मलबा और बोल्डर से मार्ग पर यातायात ठप हो गया था। जेसीबी मशीन से बोल्डर को हटाकर यातायात को सुचारू कर दिया गया है।
मेयर ने लिया बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। नगर निगम की महापौर श्रीमती हेमलता नेगी ने झंडीचौड़ पूर्वी, शीतलपुर, उदयरामपुर, लोकमणिपुर, सिम्बलचौड़, हल्दूखाता तल्ला एवं मल्ला क्षेत्रों का सघन भ्रमण कर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का मौका मुआयना किया। मेयर ने लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, नगर निगम के इंजीनियरों को बाढ़ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिये।
महापौर श्रीमती हेमलता नेगी ने कहा कि भारी बारिश से भाबर क्षेत्र में काफी नुकसान हुआ है। बरसात का पानी लोगों के घरों में घुस गया है, जिससे लोगों का खाने-पीने का सामान खराब हो गया है। इसके अलावा नहरों में भारी मात्रा में रेत व कूड़ा कचरा भर जाने से नहरें सिल्ट से पूरी तरह पट गयी है। भारी बारिश से नदी एवं गदेरों के निकट बनी सुरक्षा दीवारें भी क्षतिग्रस्त हो गयी है, जिससे बाढ़ का खतरा बन गया है। लोगों की गौशालाओं में पानी भरने से गौशाला भी क्षतिग्रस्त हो गयी है। महापौर ने मलबे से पटी हुई सिडकुल की बंद नहर को खोलने के लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये। उन्होंने प्रदेश सरकार से भी बारिश हुए नुकसान की भरपाई के लिए लोगों को उचित मुआवजा देने की मांग की है। इस मौके पर पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी, पार्षद विवेक शाह, जगदीश मेहरा, राकेश बिष्ट, सुरेश चंद्र, पूजा देवी, गोविंद सिंह, केएन केष्टवाल, सरस्वती देवी, रतन सिंह, त्रिलोक ंिसंह, विजय कोटनाला, सुनीता रावत, विनोद मंद्रवाल, सुरेन्द्र भट्ट आदि मौजूद थे।