उत्तराखंड

मजदूर दिवस पर जुलूस निकालकर मजदूर अधिकारों को किया बुलंद

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हल्द्वानी। संयुक्त आयोजन समिति ने अंतराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर रविवार को सभा कर मजदूरों से अपने अधिकारों के लिए एकजुट होने का आह्वन किया। इसके बाद बुद्घ पार्क से एसडीएम कोर्ट तक जुलूस निकालकर मजदूर अधिकारों के नारों को बुलंद किया गया। बुद्घपार्क में हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि न केवल असंगठित मजदूर, बल्कि उच्च शिक्षा हासिल युवकों को भी दिन में 12 से 14 घंटे काम करना पड़ रहा है। नियमित मजदूरों की संख्या लगातार कम हो रही है। ठेके या संविदा पर श्रम का प्रचलन आम हो गया है। बाल श्रम, महिला श्रम शोषण बेलगाम है। सरकार किसानों की जमीनें और अन्न के भण्डार बड़े पूंजीपतियों को सौंपने की नीति पर चल कर देश में नए जागीरदारी राज को थोपने की कोशिश में लगी है। देश में इन नीतियों के कारण भूख, गरीबी, बेरोजगारी और असमानता तेज रफ्तार से बढ़ रही है। वक्ताओं ने कहा कि भारत में भी 44 श्रम कानूनों को खत्म कर केन्द्र सरकार ने चार श्रम कोड में तब्दील कर दिया है। इसके जरिये 8 घण्टे की ड्यूटी, न्यूनतम वेतन कानून जैसे तमाम श्रम अधिकारों को खत्म कर पूंजीपतियों को मजदूरों के खुले शोषण की टूट दी जा रही है। एकजुट होकर ही मजदूर अपने अधिकारों को हासिल कर सकते हैं। जुलूस निकाल कर करपोरट फांसीवादी राज नहीं चलेगा, शिकागो के शहीद अमर रहें, मई दिवस अमर रहे, इंकलाब जिंदाबाद, मजदूर विरोधी श्रम कोड वापस लो़. नारे लगाए गए।

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