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उत्तराखंड के लाल ने भारत को दिलाया गोल्ड

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कॉमनवेल्थ में गोल्ड जीतकर लक्ष्य सेन ने रचा इतिहास, छह साल की उम्र में थाम लिया था शटल
नैनीताल। कमनवेल्थ गेम्स 2022 के आखिरी दिन भारत की झोली में 20 वां गोल्ड लाने वाले शटलर लक्ष्य सेन की जीत का जश्न उत्तराखंड के साथ पूरा देश मना रहा है।
ब्रिटेन के बमिंघम में पुरुष सिंगल्स के फाइनल में लक्ष्य सेन ने मलेशिया के त्जे यंग को तीन गेम तक चले मुकाबले में करारी शिकस्त दी है।
इसी साल भारत के थामस कप जीतने के बाद लक्ष्य पीएम मोदी के लिए अल्मोड़ा की प्रसिद्घ बाल मिठाई लेकर गए थे। चलिए जानते हैं लक्ष्य सेन के व्यक्तिगत जीवन और उनकी उपलब्धियों के बारे में।
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के मध्यम वर्गीय परिवार से निकले लक्ष्य सेन का जन्म 16 अगस्त 2001 को हुआ। उनका परिवार 80 वर्षों से अधिक समय से अल्मोड़ा के तिलकपुर मोहल्ले में रह रहा है।
लक्ष्य सेन के दादा सीएल सेन जिला परिसद में नौकरी करते थे। दादा ने सिविल सर्विसेस में राष्ट्रीय स्तर की बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था। वहीं कई खिताब अपने नाम किए। जबकि पिता डीके सेन भी वर्तमान में कोच हैं। पहले वह साई के कोच थे। लक्ष्य को छह वर्ष के उम्र में मैदान पर उतारने में दादा जी का बड़ा योगदान रहा। दादा ने हाथ पकड़कर पोते लक्ष्य को बैडमिंटन पकड़ना सिखाया। पिता और दादा जी के नक्शे पर चले लक्ष्य ने भी बैडमिंटन में ही प्रतिभा दिखाई।
लक्ष्य ने जिला, राज्य के बाद राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक अपने नाम किए। इसके बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पैट जमाई। 10 वर्ष की उम्र में लक्ष्य ने इजराइल में पहला अंतरराष्ट्रीय खिताब स्वर्ण पदक के रूप में जीता था।
वह अपने बड़े भाई अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी चिराग से भी प्रेरित हुए। माता निर्मला सेन पूर्व में निजी स्कूल में शिक्षिका थी। 2018 में लक्ष्य के पिता ने डीके सेन ने वीआरएस ले लिया था। माता ने भी स्कूल छोड़ बच्चों के प्रशिक्षण के लिए परिवार समेत बंगलुरू में शिफ्ट हो गए थे। वहां लक्ष्य और चिराग ने प्रशिक्षण लिया और पिता डीके सेन भी प्रकाश पादूकोण अकादमी में सीनियर कोच हैं।
लक्ष्य सेन आल इंग्लैंड बैडमिंटन चौंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाले पांचवें भारतीय शटलर हैं। उनसे पहले 1947 में प्रकाश नाथ, 1980 में प्रकाश पादुकोण और 2001 में पुलेला गोपीचंद चौंपियनशिप के फाइनल में पहुंचे थे। महिला वर्ग में साइना नेहवाल भी 2015 में इस प्रतिस्पर्द्धा का फाइनल खेल चुकी हैं। लक्ष्य सेन बैडमिंटन के विख्यात विमल कुमार, पुलेला गोपीचंद और योंग सूयू से प्रशिक्षण ले चुके हैं।
लक्ष्य सेन इसी साल मार्च में हुए योनेक्स आल इंग्लैंड बैडमिंटन चौंपियनशिप के फाइनल में पहुंच गए थे। लेकिन फाइनल में कड़े मुकाबले में वह दुनिया के नंबर एक और ओलंपिक चौंपियन विक्घ्टर एक्घ्सेलसेन से वह मात खा गए। जिसके बाद पीएम मोदी और सचिन तेंदुलकर ने ट्वीट कर उनका हौसला बढ़ाया है। दोनों अपने ट्वीट में कहा है कि आप पर देश को गर्व हैं।

पीएम मोदी और सीएम धामी ने दी बधाई
देहरादून। लक्ष्य सेन की जीत के बाद पीएम मोदी और सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई दी। सीएम धामी ने लिखा श् लक्ष्य सेन ने ऐतिहासिक प्रदर्शन से देश के साथ-साथ प्रदेश का नाम भी ऊंचा किया है। हमें उन पर गर्व है।
पीएम मोदी ने लिखा बैडमिंटन में स्वर्ण पदक जीतने पर बधाई। लक्ष्य ने राष्ट्रमंडल खेल में शानदार खेला और फाइनल के दौरान उत्ष्ट प्रर्शन किया। वह भारत की शान हैं। उन्हें उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं।

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