लंबित मांगों के निराकरण को आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने भरी हुंकार
अल्मोड़ा। लंबित मांगों के निराकरण को आंगनबाड़ी कार्यकत्री मुखर हो गई हैं। मांगों के निराकरण को कार्यकत्रियों ने रोडवेज स्टेशन से गांधी पार्क तक जुलूस निकाला। गांधी पार्क में धरना-प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। मांगें पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी। मांगों के निराकरण को प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। सोमवार को माल रोड स्थित गांधी पार्क में धरना स्थल पर हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि आगनबाड़ी में कार्यरत कर्मचारी सरकार की विभिन्न योजनाओं में सरकारी कर्मचारी की तरह काम करते हैं। यहां तक कि सरकार की महत्वाकांक्षी योजना टीकाकरण, पल्स पोलियो, वोटर लिस्ट का सर्वे करना, जन्म-मृत्यु का पंजीकरण करना समेत विभिन्न काम आंगनबाड़ी कर्मचारियों को दिए जाते हैं। इसके अलावा केंद्रों के कामों का संचालन करना, बच्चे को प्राथमिक शिक्षा के साथ-साथ पोषाहार देना, गर्भवती और धात्री महिला एवं किशोरी बालिकाओं को पोषाहार एवं आयरन की दवा बांटने जैसे कार्यों को आंगनबाड़ी कर्मचारी करती आ रहीं हैं। बावजूद इसके आंगनबाड़ी कर्मचारियों की उपेक्षा की जा रही है। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की मांगों को दर किनार किया जा रहा है। इससे आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों में रोष है। वक्ताओं ने जल्द से जल्द मांगों के निराकरण की मांग की है। मांग पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी।
ये हैं मांगें-आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने, सामाजिक सुरक्षा देकर उन्हें उचित श्रेणी में शामिल करने, निर्धारित न्यूनतम वेतन सेविका को 18 हजार और सहायिका को 9 हजार प्रति माह देने, पदोन्नती प्रक्रिया को तुंरत बहाल करने, भविष्य निधि, पेंशन, ग्रेच्यूटी समेत चिकित्सा सुविधा लागू करने, सरकारी कर्मचारी की तरह अर्जित अवकाश देने, आंगनबाड़ी केंद्रों को विद्यालय की मान्यता देते हुए कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को सम्मान जनक पद देने, प्रत्येक माह मानदेय देने, हर पांच वर्ष में इंक्रीमेंट लगाने समेत अन्य मांगें। इस मौके पर जिला अध्यक्ष भगवती बिष्ट, ममता, पुष्पा बिष्ट, भूमिलता, महादेवी, चंपा, लक्ष्मी, सावित्री, संगीता साह, नीमा पाटनी, गीता बिष्ट, इंद्रा, प्रभा वर्मा, मुन्नी मेहरा, हेमा डालाकोटी, शोभा टम्टा, प्रेमा कांडपाल, सरिता देवी समेत विभिन्न ब्लॉकों की आंगनबाड़ी कार्यकत्री मौजूद रहीं।