पहाड़ों मे समृद्धि के लिए भू कानून एवं चकबन्दी अनिवार्य
जयन्त प्रतिनिधि।
देहरादून: टूरिस्ट संदेश फॉउंडेशन के तत्वावधान में उत्तराखण्ड में समृद्धि का मूल मंत्र भू- कानून एवं चकबन्दी विषय पर पूर्व भू वैज्ञानिक उत्तम सिहं रावत की अध्यक्षता में एक चर्चा-परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस चर्चा-परिचर्चा में वक्ताओं ने पहाड़ों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक उत्थान के लिए भू- कानून एवं चकबन्दी को अनिवार्य बताया।
देहरादू में आयोजित चर्चा की शुरुआत करते हुए सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित जोद्य सिंह बिष्ट ने कहा कि, पहाड़ की पहचान को बचाने के लिए मूल निवास का आधार वर्ष 1950 होना चाहिए तथा विधानसभा सीटों के लिए होने वाले अगले परिसीमन में सीटों का बंटवारा क्षेत्रफल के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि, यदि सीटों का बंटवारा का आधार जनसंख्या होगा तो हम पहाड़ के नाम पर बने राज्य की मूल अवधारणा को खो देगें। चर्चा में हिस्सा लेते हुए बी.बी.एस. रावत ने कहा कि, राज्य में भू- कानून, मूल निवास, परिसीमन तथा चकबन्दी के लिए एक गैर राजनैतिक संगठन (प्रेशर ग्रुप) बनाने की आवश्यकता है। चकबन्दी आन्दोलन से जुड़े चकबन्दी कार्यकर्ता कपिल डोभाल ने राज्य में चकबन्दी न किये जाने पर निराशा व्यक्त की। धाद संस्था से जुड़े तन्मय ममगांई ने परिसीमन पर लोगों को जागरूक करने के लिए विकास खण्ड स्तर पर गोष्ठियां आयोजित किये जाने पर जोर दिया। पोखड़ा ब्लॉक के पूर्व प्रमुख सुरेन्द्र सिंह रावत ने साझा रणनीति बनाने पर जोर दिया। चर्चा में युवा वर्ग से अनु पन्त, मोहित डिमरी, नमन चन्दोला, प्रमोद काला, लुसुन टोडरिया, मनीष केडियाल ने भी प्रतिभाग किया। सामाजिक कार्यकत्री पूजा चमोली ने ड्राफ्ट तैयार करने तथा उत्तराखण्ड की विरासत को आगे बढ़ाने का आवाहन किया। चर्चा-परिचर्चा में विजय भट्ट, दीपू सुन्दरियाल, कमल बिष्ट, पवन भण्डारी आदि उपस्थित थे। आयोजक सुभाष चन्द्र नौटियाल ने सभी उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया। चर्चा- परिचर्चा का संचालन प्रेम बहुखण्डी ने किया।