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लोकसभा में मध्यस्थता व सुलह संशोधन विधेयक पारित, प्रसाद बोले- भारत बनेगा अंतरराष्ट्रीय केंद्र

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नई दिल्ली, एजेंसी। लोकसभा ने शुक्रवार को मध्यस्थता और सुलह संशोधन विधेयक 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी। इसमें भारत को अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता के केंद्र के रूप में बढ़ावा देने की बात कही गई है।निचले सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मोदी सरकार ईमानदारी से भारत में अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता का केंद्र बनाना चाहती है और हम इसे बनाएंगे। दुनिया में काफी मामले मध्यस्थता के चल रहे हैं और इस बारे में हम जानते हैं? क्या हम भ्रष्ट तरीके से लिए गए पंचाट (अवार्ड) को नजरंदाज कर दें और करदाताओं के पैसे को व्यर्थ जाने दें।
निचले सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मोदी सरकार ईमानदारी से भारत में अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता का केंद्र बनाना चाहती है और हम इसे बनाएंगे। दुनिया में काफी मामले मध्यस्थता के चल रहे हैं और इस बारे में हम जानते हैं? क्या हम भ्रष्ट तरीके से लिए गए पंचाट (अवार्ड) को नजरंदाज कर दें और करदाताओं के पैसे को व्यर्थ जाने दें।
प्रसाद ने कहा कि हम भारत को भ्रष्ट तरीके से प्राप्त किए गए पंचाट (अवार्ड) का केंद्र नहीं बनने दे सकते हैं। मंत्री के जवाब के बाद संसद ने कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन सहित कुछ अन्य सदस्यों द्वारा इससे संबंधित अध्यादेश को निरस्त करने के संकल्प और कुछ सदस्यों के संशोधनों को नामंजूर करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी। मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 में संशोधन करना आवश्यक हो गया था। इसलिए राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्टेद 123 के खंड (1) के अधीन 4 नवंबर 2020 को इसे अध्यादेश के जरिए लागू किया गया था। अब विधेयक लाया गया है।
विधि एवं न्याय मंत्री ने कहा कि मेरी न्यायपालिका से अपील है कि जनहित याचिकाओं की बढ़ती संख्या पर विचार करे और उचित पीआईएल पर ही विचार किया जाए। उन्होंने कहा कि पीआईएल से उन्हें आपत्ति नहीं है लेकिन रोज सुबह अखबार की खबरें देखकर जनहित याचिकाएं दाखिल करने की प्रवृत्ति भी सही नहीं है।
प्रसाद ने कहा कि मजदूरों के वेतन का विषय हो, पर्यावरण का मुद्दा हो तब ठीक है, लेकिन किन परिस्थितियों में पीआईएल दायर किया जाए, इस पर विचार करें। प्रसाद ने न्यायपालिका और कार्यपालिका की पृथक शक्तियों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रशासन (गवर्नेंस) के विषय को निर्वाचित लोगों पर छोड़ दिया जाए।

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