ऋषिगंगा पर बनी झील से बाढ़ जैसे हालात
देहरादून। चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आपदा की जद में आई तपोवन टनल में फंसे 34 लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू अपरेशन लगातार जारी है। ड्रिल ने काम करना शुरू कर दिया है, जिससे अपरेशन ड्रिल फिर से शुरू हो गया। बताया जा रहा है कि ड्रिल अपने लक्ष्य से कुछ ही दूरी पूर है। वहीं, इससे पहले डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि एक छोटी सुरंग में प्रवेश करने का प्रयास किया जाएगा, जो मौजूदा सुरंग से 12 मीटर नीचे है। वहां मानव उपस्थिति की संभावना हो सकती है। दूसरी ओर मैणाणा से एक शव बरामद हुआ है, जिसके बाद मृतकों की संख्या 37 हो गई है।
पुलिस मुख्यालय के अनुसार, एसडीआरएफ की टीम तपोवन के पास रैणी गांव से आगे झील के पास पहुंच गई है। झील से पानी का रिसाव होने लगा है। यह झील लगभग 350 मीटर लंबी प्रतीत हो रही है।
महाप्रबंधक (एनटीपीसी तपोवन और परियोजना प्रभारी) आरपी अहिरवार ने बताया कि हमारी गणना सटीक थी और हमने 11़6 मीटर के निशान पर सेफ्टी टनल पर टेद कर दिया है। इस दौरान प्रेशर भी निकला है। यह अच्छे संकेत हैं। हम टेद को चौड़ा करेंगे ताकि पम्पिंग का प्रयास किया जा सके। आज एक और शव रैंणी से मिला। कुल 38 लोगों के शव मिल चुके है। अब 166 लोग लापता हैं।
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत बोले, हमें एक झील के बारे में जानकारी मिली है, जो जोशीमठ में रैणी गांव के पास बनी है। वर्तमान स्थिति बताती है कि हमें सतर्क रहने की जरूरत है, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है। वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं। हम समीक्षा के लिए विशेषज्ञों को भी प्रसारित करने की योजना बना रहे हैं।
रैंणी गांव के ऊपरी क्षेत्र में अब एक झील बन रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि उसकी सरकार को जानकारी है और उसपर सेटेलाइट के माध्यम से निगाह रखे हुए हैं। अभी तक जो झील की स्थिति है सावधान रहने की जरूरत है, घबराने की जरूरत नहीं है। ये लगभग 400 मीटर लंबी है गहराई का अभी अनुमान नहीं है।ाषि गंगा से आये मलबे के चलते ये झील बनी है। अभी 12 मीटर उसकी ऊंचाई नजर आ रही, लेकिन उसमें पानी कितना है अभी उसका अनुमान नहीं है। वैज्ञानिकों की टीम भी वहां जा रही है और यह भी प्रयास है कि कुछ लोगों को वहां एयर ड्राप किया जाए। इसके लिए अनुभवी प्रशिक्षित लोगों को तलाशा जा रहा है
चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने रैणी और तपोवन क्षेत्र मे खोज-बचाव कार्यों का निरीक्षण किया। मलबे में लापता लोगों की तलाश के लिए जिला प्रशासन ने अधिशासी अभियंता आरडब्लूडी और तहसीलदार के नेतृत्व मे एक टीम बनाई है, जो पुरानी फोटो के आधार पर और स्थानीय लोगों की मदद सेाषि गंगा पावर प्रोजेक्ट में काम करने वाले लोगों की तलाश में जुटी है। जहां भी लोगों के दबे होने की संभावना है, वहां एनडीआरएफ और कंपनी के कर्मचारियों के साथ मिलकर लापता लोगों की तलाश की जा रही है।
सर्च टीम यहां एक्सावेटर मशीन और जेसीबी से मलबे में खुदाई कर रही है। वहीं, तपोवन में गौरी शंकर मंदिर के निकट एप्रोच रोड बनाई जा रही है, जिससे पाकलैंड मशीन को नीचे उतार कर यहां पर मलबे में लापता लोगों की तलाश की जा सके। इसके अलावा यहां पर कापरडैम बनाकर यहां से पानी का बहाव टनल के अंदर जाने से रोका जा सके।
चमोली जिले के तपोवन सुरंग में फंसे लोगों के रेस्क्यू अपरेशन में जुटे एनडीआरएफ कमांडेंट पीके तिवारी ने बताया कि टीम लगातार शवों की तलाश कर रही है। नदी के किनारे शवों की तलाश के लिए एक टीम भी तैनात की गई है। बचाव अभियान में शामिल सभी एजेंसियां चौबीसों घंटे काम कर रही हैं। तपोवन बैराज साइट पर आपदा पीड़ितों का हंगामा जारी है। उन्होंने एनटीपीसी और सरकार के खिलाफ आक्रोश जताया है। उन्होंने टनल में फंसे लोगों का जल्द रेस्क्यू करने की मांग की है। तनाव बढ़ता देख टनल साइट पर पुलिस बल तैनात है।
इससे पहले गुरुवार को अपरेशन दो बार बाधित हुआ। सुरंग के नीचे सिल्ट फ्लशिंग टनल (एसएफटी) तक ड्रिलिंग के लिए बुधवार रात शुरू किया गया अभियान 10 घंटे बाद न केवल रोकना पड़ा, बल्कि उसके बाद पुराने ढर्रे पर ही दोबारा रेस्क्यू शुरू किया गया। इसके तीन घंटे बाद दोपहर करीब दो बजे धौलीगंगा में जलस्तर बढ़ने की सूचना के चलते टनल में बचाव कार्य बीच में ही रोक दिया गया। तकरीबन डेढ़ घंटे बाद स्थिति सामान्य रहने की जानकारी मिलने पर रेस्क्यू अपरेशन सुचारु हुआ।