प्रभु अपने भक्त का साथ कभी नहीं छोड़ते : स्वामी चैतन्यपुरी
भक्ति संगीत में भावविभोर हो झूम उठे श्रद्धालु
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : श्री हरिकृपा पीठाधीश्वर स्वामी हरि चैतन्यपुरी महाराज ने परमात्मा की प्रेमपूर्वक की गई भक्ति को जीवन की सफलता का एकमात्र उत्तम व सरल उपाय बताते हुए कहा है कि जो मनुष्य दृढ़विश्वास के साथ सच्चे मन से प्रभु का ध्यान करते हैं, उन्हें जीवन में कभी भी हार-निराशा का सामना नहीं करना पड़ता है।
दो-दिवसीय कार्यक्रम के तहत श्री सिद्धबली बाबा की पावन भूमि कोटद्वार पहुंचे स्वामी चैतन्यपुरी धनीराम मिश्रा मार्ग (गोविंदनगर) में आयोजित सुंदरकांड पाठ के उपरांत प्रवचन के दौरान परमात्मा की महिमा का बखान कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कण-कण में विद्यमान परमात्मा का इस सृष्टि में हर प्राणी से सिर्फ़ एक ही नाता है भक्ति का, भक्तिहीन वो जीवन निरर्थक है, जो कितनी ही विशेषताओं की मौजूदगी के बावजूद अधूरा ही है। परमात्मा को भक्तिमय मनुष्य ही सर्वाधिक प्रिय हैं, जिन पर उसकी कृपा हमेशा बनी रहती है। उन्होंने कहा कि जीवन में भले ही सब साथ छोड़ दें, लेकिन सिर्फ़ प्रभु ही हैं जो अपने परम भक्तों का साथ कभी नहीं छोड़ते। कहा कि जीवन में परम आनंद और सच्चे सुख की प्राप्ति के लिए धर्म व परमात्मा की शरण ही एकमात्र रास्ता है। सच्चे मन से प्रभु का स्मरण कर किए गए प्रयासों से असंभव को भी संभव किया जा सकता है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर उन्हें नमन करते हुए चैतन्यपुरी ने कहा कि देश की आन-बान-शान की खातिर भारत के जिन सपूतों ने सर्वस्व त्याग की भावना के साथ तमाम कुर्बानियां दीं, उन्हें व्यर्थ नहीं जाने देना है। राष्ट्र व समाजहित को सर्वोपरि मानते हुए कर्म, भक्ति एवं ज्ञान के समन्वय से जीवन को मर्यादित और आदर्श रखना है। स्वामी ने इस अवसर मौजूद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. कृपाराम मिश्र ‘मनहर’ व स्व. हरिराम मिश्र ‘चंचल’ के परिवारजनों को सम्मानित भी किया. इससे पूर्व, स्वामी चैतन्यपुरी जी के सान्निध्य में संगीतमय सुंदरकांड का पाठ हुआ। सुंदरकांड के पश्चात प्रस्तुत भजन कार्यक्रम के दौरान भावविभोर लोग मंत्रमुग्ध हो झूम उठेञ कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं सहित श्रद्धालुजन शामिल हुए।