महागौरी व माँ सिद्धिदात्री की आराधना कर मांगा सुख समृद्धि का वरदान
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। शनिवार को शारदीय नवरात्र की अष्टमी व नवमी होने पर महागौरी व माँ सिद्धिदाद्धी की पूजा अर्चना की गई। घर-घर कन्याओं को बैठा कर उनकी पूजा अर्चना की गई। नवरात्रि के इन नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस अवसर पर भक्तों ने घर और मंदिरों में विधिवत पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की। साथ ही कन्याओं का पूजन कर व्रत खोला। दिन भर धार्मिक कार्यक्रमों की धूम के साथ माता के जयकारों और घंटे घंडियाल की गूंज के बीच माता के मंदिरों पर श्रद्धालुओं ने माता सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना व श्रृंगार कर मनोकामना मांगी।
शास्त्रों में कहा गया है कि माता सिद्धिदात्री से सिद्धियां पाने के लिए प्रतिपदा से नवमी तिथि तक माँ के सभी नौ रूपों की पूजा अर्चना करनी चाहिए। सभी देवियों के प्रसन्न होने पर ही सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त होती है। यही कारण है कि नवरात्र के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। इस दिन माँ उन सभी भक्तों पर कृपा करती है जिन्होंने श्रद्धा भक्ति एवं समर्पण भाव से नवरात्र में उनकी पूजा की हो। नवरात्रों के अंतिम दिन श्रद्धालुओं द्वारा माता को प्रसन्न करने के लिए माता के मंदिरों पर पूजा अर्चना व जगह-जगह भंडारे और घरों में कन्याओं को जिमाया जाता है। कहा जाता है कि सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान रहती है और इनका वाहन सिंह है। माता की चार भुजाएं है। यह अपने हाथों में गदा, चक्र, शंख और कमल पुष्प धारण कर भक्तों को मनोवांछित फल एवं सिद्धियां प्रदान करती है। शनिवार को श्रद्धालुओं ने अष्टमी व नवमी मनाते हुए कोटद्वार-दुगड्डा मार्ग पर दुर्गादेवी मंदिर, कोटद्वार-भाबर रोड़ स्थित देवी मंदिर, संतोषी माता मंदिर, गाड़ीघाट स्थित माता के मंदिर में माँ दुर्गा के दर्शन किये और सुख-शांति की कामना की।
अष्टमी व नवमी को किया कन्या पूजन
कोरोना संक्रमण की दहशत के बीच शनिवार को कोटद्वार और आसपास के क्षेत्र में अष्टमी व नवमी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से कन्याओं का पूजन कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। वहीं, माता रानी के मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। अष्टमी व नवमी के पर्व पर श्रद्धालुओं ने जहां घरों में कन्या पूजन के साथ ही उन्हें जिमाया व उपहार भी दिए गए। कोरोना की दहशत को देखते हुए कई माता-पिता ने अपनी कन्याओं को जिमाने के लिए आस-पड़ोस में नहीं भेजा। श्रद्धालुओं ने देवी मंदिर, दुर्गा मंदिर, नवदुर्गा मंदिर, संतोषी माता मंदिर समेत अन्य देवी मंदिरों में विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर माता का आशीर्वाद लिया। इस दौरान मंदिर परिसर में देवी मां के जयकारे गूंजते रहे। कई श्रद्धालुओं ने मंदिर में भी कन्याएं जिमाई व उन्हें प्रसाद वितरित किया। सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था।