उत्तराखंड

श्रद्घा और भक्तिभाव के साथ मनाया महानिर्वांण पर्व

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देहरादून। श्री गुरु राम राय महाराज का 336वां महानिर्वाण पर्व परंपरागत स्वरूप में शनिवार को श्रद्घापूर्वक मनाया गया। दरबार श्री गुरु राम राय महाराज के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास महाराज ने महानिर्वांण पर्व पर विशेष पूजा-अर्चना की। तालाब के किनारे श्री गुरु राम राय जी महाराज को तर्पण अर्पित किया। इसके पश्चात 17 पुरोहितों ने चावल, दूध, शहद, गंगाजल, घी एवं शक्कर के पिंड बनाकर पूजन किया। श्री दरबार साहिब के आचार्य, पंडित एवं पुरोहितों ने पूजा-अर्चना में सहयोग किया। संगतों को फलों का प्रसाद वितरित किया गया। देश-विदेश से आए श्रद्घालुओं को श्रीमहंत देवेन्द्र दास महाराज ने आशीर्वाद दिया। तदोपरांत विशेष लंगर का आयोजन किया गया। शाम को श्रद्घालुओं को हलवा-पूरी और चूरमा का प्रसाद वितरित किया गया। श्रीमहंत देवेन्द्र दास महाराज ने कहा कि गुरु को ईश्वर से भी ऊपर का स्थान प्राप्त है। क्योंकि गुरु के ज्ञान और गुरु के बताए मार्ग से हम ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग गुरु के बताए मार्ग पर चलते हैं, उन्हें जीवन में हर लक्ष्य की प्राप्ति होती है। उन्होंने देशवासियों के सुख, समृद्घि एवं शांति की अरदास की।
यह है महानिर्वाण पर्व की विशेषता
श्री गुरु राम राय महाराज का जन्म 1646 ई0 में चौत्र मास की पंचमी को हुआ था। वर्ष 1676 में गुरु महाराज देहरादून आए थे। देहरादून को श्री गुरु महाराज ने अपनी कर्मस्थली बनाकर पावन किया। श्री गुरु राम राय महाराज के डेरे के नाम से ही नगर का नाम देहरादून पड़ा। भाद्रसुदी 8 सवंत 1744 (4 सितम्बर सन् 1687) को वे परमात्मा का ध्यान करते हुए परमात्मा में लीन हो गए। श्री गुरु महाराज जी की आत्मा को अमर मानते हुए संगत समाधि की सेवा करती हैं। श्रद्घालु इस दिन को महानिर्वाण पर्व के रूप में मनाते हैं।

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