महाराष्ट्र में सौ करोड़ की वसूली के मुद्दे पर संसद में हंगामा, राष्ट्रपति शासन की मांग
नई दिल्ली, एजेंसी। महाराष्ट्र में सौ करोड़ की वसूली के मुद्दे पर सोमवार को संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ। राज्यसभा में तो इस मुद्दे पर भाजपा और शिवसेना सांसदों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। इस बीच कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी राकांपा भी शिवसेना के साथ खड़ी नजर आई। वहीं लोकसभा में भी इस मुद्दे पर तीखी बहस हुई।
भाजपा ने इस मामले को बेहद गंभीर बताते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की चुप्पी पर सवाल खड़ा किया, तो शिवसेना और कांग्रेस सदस्यों ने इसे महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर करने की साजिश करार दिया। आरपीआइ सांसद और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने बोलने की अनुमति न मिलने पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की।
संसद में महाराष्ट्र के इस मुद्दे की गूंज सबसे सबसे पहले राज्यसभा में सुनाई दी। शून्यकाल में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री किस तरह से वसूली कर रहे हैं, यह पूरे देश ने देख लिया है। इसके बाद शिवसेना सांसदों ने अपनी सीट से खड़े होकर हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस और राकांपा सदस्यों ने उनका पूरा साथ दिया। इसके जवाब में भाजपा सदस्यों ने भी खड़े होकर नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामा बढ़ते देख सदन की कार्यवाही दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी गई।
हालांकि इससे पूर्व दौरान आरपीआई नेता और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने इस मुद्दे पर बोलने की अनुमति मांगी, लेकिन सभापति ने उन्हें समय नहीं दिया। इसके बाद आठवले ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखकर महाराष्ट्र सरकार को हटाकर वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। साथ ही कहा कि उद्घव सरकार प्रशासनिक दृष्टि से पूरी तरह विफल है। सरकार की अक्षमता के चलते कोरोना संक्रमण अब तक नियंत्रण में नहीं आ सका है।
उधर लोकसभा में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रश्नकाल में एक सवाल का जवाब देते हुए महाराष्ट्र के मुद्दे को टेड़ दिया। इसके बाद वहां भी हंगामा शुरू हो गया। हालांकि बाद में शून्यकाल में भाजपा सांसद राकेश सिंह ने इस मुद्दे को प्रमुखता से रखा और कहा कि यह देश की शायद पहली घटना होगी जब किसी राज्य का मुख्यमंत्री किसी कनिष्ठ पुलिस अधिकारी के समर्थन में प्रेसवार्ता करता है जिस पर पुलिस आयुक्त ने गंभीर आरोप लगाए है।
उन्होंने कहा कि गंभीर आरोपों के बाद भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के पास गृह मंत्री का इस्तीफा लेने की हिम्मत नहीं है। उन्हें डर है कि कहीं इस्तीफा लेने के बाद वह यह पोल न खोल दे, कि किस-किस को पैसा जाता है।
इस मुद्दे पर अमरावती से सांसद नवनीत राणा ने भी महाराष्ट्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार का असली चेहरा सबके सामने आ चुका है। भाजपा सांसद पूनम महाजन ने भी इस दौरान महाराष्ट्र सरकार के मुखिया की चुप्पी पर सवाल खड़ा किया।