मई के बाद चीन ने एलएसी पर कई बार किया घुसपैठ का प्रयास, हर बार मुंहतोड़ जवाब: सरकार ने संसद में बताया

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नई दिल्ली, एजेंसी। पू्र्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी भारत-चीन के बीच तनाव को लेकर केंद्र सरकार ने संसद में बुधवार को जवाब दिया। विदेश मंत्रालय ने संसद में बताया कि पिछले साल अप्रैल-मई से चीनी पक्ष द्वारा एलएसी के पश्चिमी सेक्टर और बर्डर वाले इलाकों में सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई थी। मिड मई के बाद चीनी पक्ष ने एएलसी पर बर्डर वाले कई इलाकों में घुसपैठ की कोशिश की। उस समय हमारी ओर से मुंहतोड़ जवाब दिया गया।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि हमारे रक्षा मंत्री ने 4 सितंबर को चीनी रक्षा मंत्री के साथ मस्को में मुलाकात की थी। रक्षा मंत्री ने अपने समकक्ष से कहा था कि दोनों पक्षों को सीमावर्ती क्षेत्रों में चल रही स्थिति और बाकी के मुद्दों को शांति से बातचीत के माध्यम से हल करना चाहिए। इसके अलावा, विदेश मंत्री ने चीनी विदेश मंत्री से मस्को में 10 सितंबर से मुलाकात की। वे इस बात से सहमत थे कि सीमावर्ती क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति किसी भी पक्ष के हित में नहीं है। वे इस बात पर भी सहमत हुए कि दोनों पक्षों के सीमा सैनिकों को बातचीत जारी रखनी चाहिए और जल्दी से तनाव को कम करना चाहिए।
सरकार ने आगे बताया कि मुद्दे को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों ने राजनयिक और सैन्य स्तर के जरिए से कई बार बातचीत की। दोनों ओर के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की नौ बार मुलाकात हो चुकी है। इसके अलावा, डब्ल्यूएमसीसी की छह बैठकें भी हुई हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत और चीन में पिछले साल अप्रैल महीने से तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं। हालात जून में तब और खराब हो गए थे, जब गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। हिंसक टकराव में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के भी कई सैनिक मारे गए। इसके बाद दोनों देशों के बीच बातचीत का लंबा दौर चला, जो अभी भी कायम है। वहीं, अगस्त और सितंबर के महीने में भी दोनों पक्षों के जवानों के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी।
वहीं, पिछले दिनों भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत और चीन के संबंधों को पटरी पर लाने के लिए आठ सिद्घांत बताए थे, जिनमें वास्तविक नियंत्रण रेखा के प्रबंधन पर सभी समझौतों का सख्ती से पालन, आपसी सम्मान एवं संवेदनशीलता तथा एशिया की उभरती शक्तियों के रूप में एक-दूसरे की आकांक्षाओं को समझना शामिल है। उन्होंने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष हुई घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया किया था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से पालन एवं सम्मान किया जाना चाहिए और यथास्थिति को बदलने का कोई भी एकतरफा प्रयास स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा था कि सीमा पर स्थिति की अनदेखी कर जीवन सामान्य रूप से चलते रहने की उम्मीद करना वास्तविकता नहीं है।

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