भारत संग हाइड्रोग्राफी समझौता तोड़ा; मालदीव ने दिया झटका, इस सरकार के साथ किया था करार
माले, एजेंसी। मालदीव ने भारत को एक बार फिर बड़ा झटका दिया है। मालदीव की नई सरकार ने भारत के साथ हाइड्रोग्राफी समझौते को खत्म करने का फैसला किया है। इस समझौते को भारत ने 2019 में मालदीव की इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की सरकार साथ किया था। चंद महीने पहले हुए चुनाव में इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हराकर मोहम्मद मुइज्जू मालदीव के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद ही भारतीय सैनिकों को मालदीव छोडऩे का आदेश सुनाया था। मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय में सार्वजनिक नीति के अवर सचिव मोहम्मद फिरोजुल अब्दुल खलील ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मालदीव भारत के साथ समझौते को नवीनीकृत नहीं करेगा। फिरोजुल ने कहा कि यह निर्णय मालदीव की राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए लिया गया है। उन्होंने कहा कि संवेदनशील जानकारी की प्रकृति को देखते हुए भविष्य में हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण अकेले मालदीव की एजेंसियों के जरिए कराए जाएंगे। इस समझौते की शर्तों के अनुसार, यदि एक पक्ष समझौते को छोडऩा चाहता है, तो दूसरे पक्ष को समझौते के समाप्त होने के छह महीने पहले अपने निर्णय के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। शर्तों के अनुसार, अगर ऐसी सूचना नहीं दी जाती है तो यह समझौता अपने आप आगे के पांच साल के लिए रिन्यू हो जाता है।
मालदीव ने यह कदम नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की औपचारिक रूप से भारत को अपने सैन्य कर्मियों को बुलाने के लिए कहने के कुछ ही हफ्ते बाद उठाया है। मुइज्जू ने अपने पूरे चुनावी प्रचार के दौरान भारतीय सैनिकों की वापसी का मुद्दा उठाया। उन्होंने चुनाव में मिली जीत और शपथग्रहण के बाद भी भारत विरोधी बयानबाजी की थी। माना जाता है कि मालदीव में 77 भारतीय सैन्य कर्मी रहते हैं, जो भारत से मालदीव को उपहार में मिले हेलिकॉप्टरों और विमानों को संचालित करने में सहायता प्रदान करते हैं। इनमें से कोई भी भारतीय सुरक्षा कर्मी मालदीव में किसी भी प्रकार के आक्रामक मिशन के लिए तैनात नहीं है।