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मशरूम उत्पादन को बना लिया रोजी-रोटी का जरिया

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कर्णप्रयाग। कोविड-19 के चलते जनपद चमोली के ग्रामीण अंचलों में युवाओं का हुआ रिवर्स पलायन चिंता का सबब बना है हालांकि सरकार द्वारा बेरोजगार हुए अप्रवासियों के लिए योजनाओं के संचालन की बात कही जा रही है लेकिन स्वरोजगार को आर्थिकी का जरिया बनाने में कम युवा ही आगे आ रहे हैं।
कर्णप्रयाग विकासखंड के पारतोली गांव का युवा दीपक गांव में मशरूम उत्पादन कर अन्य बेरोजगार युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना है। दीपक ने बताया कि सरकारी नौकरी की आस में बीपीएड प्रशिक्षण पूरा करने के साथ योग में डिग्री भी हासिल की लेकिन रोजगार नही मिला तो उन्होंने चीन की निजी कंपनी में बीजिंग पहुंच नौकरी करने की ठानी लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते उन्हें वहां से लौटना पड़ा और घर वापस पहुंच उन्होंने मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया और दो कमरों में मशरूम उत्पादन शुरू किया वर्तमान में वे 3 से 4 हजार रुपये प्रतिमाह कमा रहे हैं और भविष्य में बड़ा प्लांट लगाकर गांव में स्वरोजगार कर अन्य युवाओं को भी इससे जोड़ना चाहते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता सतेन्द्र बताते हैं स्वरोजगार को लेकर सरकार द्वारा कई कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है लेकिन बैंक से मिलने वाले ऋण के लिए औपचारिकताएं अधिक होने से बेरोजगार युवा इसका लाभ नही ले पा रहा है। दीपक पुंडीर कहते हैं उन्होंने स्वयं के प्रयासों से मशरूम उत्पादन किया है भविष्य में यदि अनुदान पर सरकार की योजनाओं का लाभ मिलता है तो बड़े पैमाने पर प्लांट स्थापित कर अन्य युवाओं को भी इससे जोड़ने का प्रयास करूंगा।

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