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मायके पहुँची गंगा-यमुना की डोली, पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ हुआ भव्य स्वागत

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उत्तरकाशी। सोमवार का दिन गंगा-यमुना के मायके के वाशिंदों के लिए उत्साह भरा रहा। गंगा की डोली सोमवार दोपहर को अपने मायके मुखवा पहुंची तो यमुना की डोली शाम को मायके खरसाली पहुंची। गंगा-यमुना की उत्सव डोली मायके पहुंचने पर ग्रामीणों ने गंगा व यमुना की डोली का पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ भव्य स्वागत किया। प्रकृति ने भी बर्फबारी कर इस उत्सव को यादगार बनाया। गंगोत्री (गंगा) का मायका गंगोत्री से 28 किलोमीटर पहले मुखवा गांव में माना जाता है। इसी गांव में स्थित गंगा मंदिर में गंगा की उत्सव डोली शीतकाल प्रवास के लिए रखी जाती है। इस गांव के ग्रामीण गंगा को अपनी बेटी मानते हैं। सोमवार को जब गंगा की डोली मुखवा गांव में आई तो डोली का भव्य स्वागत किया गया। मुखवा में डोली के स्वागत के लिए पहले से ही तैयार ग्रामीणों ने मां गंगा का परंपरागत लोक नृत्य किया। मुखवा के निकट हर्षिल में तैनात 9 बिहार रेजिमेंट के जवानों की बैंड की धुन और परंपरागत ढोल दमाऊ की थाप से वातावरण गुंजायमान रहा। बर्फबारी और ठंड के बीच भी यह उत्साह कम नहीं हुआ। मुखवा गांव निवासी एवं गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल कहते हैं कि मुखवा गांव के लिए यह क्षण बेहद ही उत्साह से भरा है। यहां गांव के ग्रामीण मां गंगा को अपने बीच पाते हैं। वहीं यमुना की डोली सोमवार की शाम खरसाली पहुंची, जहां ग्रामीणों ने मां यमुना का भव्य स्वागत किया। ग्रामीणों ने यमुना के मायके पहुंचने पर चौलाई के लड्डू तथा पकवान बनाए। साथ ही इन पकवानों का भोग मां यमुना को चढ़ाया। यमुना के आगमन पर गांव में दीपावली के दो दिन बाद दीपावली जैसा उत्सव दिखा।

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