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उत्तराखंड ट्रक ट्रांसपोर्ट महासंघ की हुई बैठक

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ऋषिकेश। पर्वतीय क्षेत्र में बाहरी राज्य के माल ढुलान करने वाले वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग को लेकर स्थानीय ट्रांसपोर्टर और व्यापारी मुखर होने लगे हैं। मामले में एकजुट हुए ट्रांसपोर्टरों और व्यापारियों का कहना कि बाहरी वाहन उनके कारोबार में सेंध लगा रहे हैं, जिससे लोकल ट्रांसपोर्ट व्यवसाय आर्थिक मंदी झेल रहा है। इससे जुड़े लोग बेरोजगारी की कगार पर आ गए हैं। शनिवार को देहरादून रोड स्थित एक वैडिंग प्वाइंट में उत्तराखंड ट्रक ट्रांसपोर्ट महासंघ की बैठक में ट्रांसपोर्ट व्यवसायी और व्यापारियों ने लगातार कम हो रहे स्थानीय ट्रांसपोर्ट कारोबार को बचाने के लिए मंथन किया। महासंघ के महासचिव मनोज ध्यानी ने कहा कि नेशनल परमिट शर्तों के मुताबिक स्थानीय ट्रांसपोर्ट व्यवसायी वाहनों का टैक्स जमा कर रहे हैं, लेकिन फायदा हरियाणा, यूपी के वाहनों को मिल रहा है। गढ़वाल ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन अध्यक्ष दिनेश बहुगुणा ने कहा कि निर्माणाधीन ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन और ऑल वेदर रोड जैसी बड़ी परियोजनाओं में उत्तराखंड के ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों की उपेक्षा कर बाहरी ट्रांसपोर्टरों को काम दिया जा रहा है। ट्रक आनर्स एसोसिएशन के सचिव जयेंद्र रमोला ने कहा कि ट्रांसपोर्ट व्यवसाय बचाने को एकजुट होकर लड़ाई लड़नी होगी। ट्रांसपोर्ट व्यवसायी गजेंद्र सिंह नेगी ने हिमाचल राज्य की तर्ज पर उत्तराखंड में लोकल वाहनों को 10 टन माल ढोने की क्षमता की अनुमति प्रदान करनी चाहिए। आरोप लगाया कि चेकिंग के नाम पर परिवहन विभाग और पुलिस लोकल ट्रांसपोर्टरों का उत्पीड़न कर रहे हैं। सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि बाहरी वाहनों पर रोक लगाने, ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को आर्थिक मंदी से उबारने के लिए सरकार पर दबाव बनाएंगे। सकारात्मक कार्रवाई नहीं होने पर वाहनों का चक्काजाम कर उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

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