गृह मंत्रालय ने केटीएफ के सहयोगी अर्शदीप सिंह गिल को किया आतंकी घोषित, कनाडा में बैठकर भारत के लिए उगलता है जहर
नई दिल्ली, एजेंसी। गृह मंत्रालय ने सोमवार को खालिस्तान टाइगर फोर्स के सहयोगी अर्शदीप सिंह गिल उर्फ अर्श डाला को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत आतंकवादी घोषित किया गया है। गिल पर आतंकवादी गतिविधियों के अलावा हत्या, जबरन वसूली और लक्षित हत्या जैसे जघन्य अपराधों में भी शामिल होने के आरोप हैं।
गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना के अनुसार गिल का जन्म 1996 में पंजाब के लुधियाना में जगराओं में हुआ था परन्तु अब वर्तमान में वह कनाडा में रह रहा है। वह कनाडा से भारत में आतंक फैलाने का काम करता रहता है। गिल यूएपीए अधिनियम के तहत नामित आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर का बहुत ही करीबी है और उसकी ओर से आतंकी मड्यूल चलाता है। अधिसूचना के अनुसार, गिल आतंकी गतिविधियों के अलावा हत्या, जबरन वसूली और लक्षित हत्या जैसे जघन्य अपराधों में शामिल है।
अधिसूचना के अनुसार केंद्र सरकार का मानना है कि गिल आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं। इसलिए सरकार गिल को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 35 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए आतंकवादी घोषित किया है। यूएपीए अधिनियम के तहत चौथी अनुसूची में मीर आतंकवादी घोषित होने वाला 53वां व्यक्ति है। केंद्र सरकार ने लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य अरबाज मीर को कश्मीर में टारगेट किलिंग को बढ़ावा देने और महिला शिक्षक रजनी बाला की हत्या के आरोप में आंतकवादी घोषित किया था।
दीगर है कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 व्यक्तियों और संघों की गैरकानूनी गतिविधियों की अधिक प्रभावी रोकथाम और आतंकवादी गतिविधियों से निपटने और उनसे जुड़े मामलों के लिए अधिनियमित किया गया है।
गौरतलब है कि यदि केंद्र सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति आतंकवादी है तो अधिनियम की चौथी अनुसूची में उसका नाम शामिल करने के लिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 35 की उप-धारा (1) के खंड (क) और उपधारा (2) का उपयोग किया जाता है। सरकार इसी अधिनियम के तहत गिल का भी नाम शामिल किया है।