कोटद्वार-पौड़ी

मोदी से प्रेरणा लेकर चाय बनाने की यात्रा पर निकले चेलूसैंण के सुनील कोठारी

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

कोटद्वार। हम लोग रोजमर्रा की जिंदगी में चाय का स्वाद लेती रहते हैं परंतु चाय से व्यवसाय की मुहिम को लेकर पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड के सुनील कोठारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आदर्श मानकर चाय से व्यवसाय आजीविका का फैसला लिया हर्बल चाय का अपना ही इतिहास है जो कि एक दवाई तो है परंतु चाय की स्वाद व रूप रंग में बढ़कर है।
सर्वप्रथम बिच्छू घास यानी नेटल टी को आधार मानकर चाय का निर्माण किया। पत्तियों में ऐसा कड़क पन हुए स्वाद से उनको पहचान मिली अन्य औषधियों युक्त मिश्रण मिलाकर इस जंगली घास की नई रूप में प्रस्तुति दी। इस प्रयोग के बाद तो जैसे चाय बनाने का सफर शुरू हो गया। कई रोचक घटनाओं के बाद जंगली फूलों का संग्रह करके एक खुशबूदार हर्बल चाय का उत्पादन किया। कैमोमाइल चाय का उत्पाद के साथ तथा लिली चाय का प्रयोग भी सराहनीय रहा, गुडल चाय के द्वारा खून संबंधी परेशानियों का निराकरण प्रस्तुत किया। पोदीना चाय से पाचन संबंधी बीमारियों का हल प्रस्तुत करने की मुहिम चलाई, उत्तराखंड में पाए जाने वाले काफल व हेसिर चाय स्वादिष्ट प्रकृतिक पदार्थों को चाय में बदला, लेमन ग्रास के द्वारा एक बेहतरीन चाय की सौगात दी। अंजीर के फलों का इस्तेमाल करके उनको चाय के उत्पाद में बदलकर पेट संबंधी विकारों को दूर करने के लिए एक सराहनीय योगदान दिया। फलदार पौधों के पुष्प हुए पदों का संग्रह करके फलों के स्वाद को चाय के कप के रूप में बदला जो वास्तव में एक अनूठी पहल है। अंजीर प्रजाति की बेटू तथा दालचीनी की चाय को एक आधुनिक रूप से प्रस्तुत किया। सुनील ने अभी तक 13 किस्म की चाय बनाकर एक अनूठा प्रयास किया है। द्वारीखाल ब्लॉक पौड़ी गढ़वाल में यह समस्त कार्य महिला समूह व किसान समूह की सहायता से कर रहे हैं। इन सभी विधियों का पाठ्यक्रम में परिवर्तन करके एक अनूठी कोशिश स्वयं सेवा समूह को आजीविका वर्धन करना भी है। उनके द्वारा उत्पादित वस्तु का बाजारीकरण के लिए कोठारी पर्वतीय विकास समिति पौड़ी गढ़वाल का गठन करके महिलाओं की अधिक आवर्धन में सहयोग दे रहे हैं यूकेयूके हॉस्पिटैलिटी इंडिया इनकी प्रचार-प्रसार में सहायक सिद्ध हो रही है। सुनील कोठारी का कहना है कि उत्तराखंड में अपार संभावनाएं हैं जिन को पहचानने और जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया। यह उत्पाद राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मार्केट में अपनी जगह बनाए हुए हैं, अब स्थानीय उत्तराखंड वासियों को इनके जानने और उत्पादित करके विक्रय योग्य बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। चाय ऐसा उत्पाद है जिसका बाजार में मूल्य उचित मिलता है तथा उत्पाद कम होने पर भी आय का साधन बन जाता है। (फोटो संलग्न है)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!